Thursday, March 1, 2012

Murli [1-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - बाप ही तुम्हारा बाप टीचर और गुरू है, उनका जीते जी बनकर माला में पिरो जाना है''
प्रश्न: तुम बच्चे किस निश्चय के आधार से पक्के ब्राह्मण बनते हो?
उत्तर: तुम्हें पहला निश्चय हुआ कि इन आंखों से देह सहित जो कुछ दिखाई देता है - यह सब पुराना है। यह दुनिया बहुत छी-छी है, यह हमारे रहने लायक नहीं है। हमको बाप से नई दुनिया का वर्सा मिलता है, इस निश्चय के आधार से तुम जीते जी इस पुरानी दुनिया और पुराने शरीर से मरकर बाप का बनते हो। तुम्हें निश्चय है कि बाप द्वारा ही विश्व की बादशाही मिलती है।
गीत:- मरना तेरी गली में....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ज्ञान देने वाले दलाल से प्रीत न रख एक शिवबाबा को ही याद करना है। वही जीयदान देने वाला है।
2) इस बेहद नाटक को बुद्धि में रख अपार खुशी में रहना है। देह का भान छोड़ अशरीरी बनने का अभ्यास करना है।
वरदान: ज्ञान, गुण और शक्तियों से सम्पन्न बन दान करने वाले महादानी भव
सारे दिन में जो भी आत्मा सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उसे महादानी बन कोई न कोई शक्ति का, ज्ञान का, गुणों का दान दो। दान शब्द का रूहानी अर्थ है सहयोग देना। आपके पास ज्ञान का खजाना भी है तो शक्तियों और गुणों का खजाना भी है। तीनों में सम्पन्न बनो, एक में नहीं। कैसी भी आत्मा हो, गाली देने वाली, निंदा करने वाली भी हो - उसे भी अपनी वृत्ति वा स्थिति द्वारा गुण दान दो।
स्लोगन: जो एक बाप से प्रभावित हैं उन पर किसी आत्मा का प्रभाव पड़ नहीं सकता।