Saturday, March 24, 2012

Murli [12-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे -रात को जागकर कमाईकरो, अमृतवेले उठने की आदत डालो''

प्रश्न:ज्ञानमें आते ही जो नशा चढ़ता है, उस नशे को स्थाई रखने की विधि क्या है?

उत्तर:जब ज्ञानमें नये-नये आते हैं तो बहुत नशा चढ़ता है। उसी समय अपने आपसे अनेक प्रतिज्ञायेंभी करते हैं। बाबा कहते वह प्रतिज्ञायें डायरी में नोट कर लो फिर उसे रिवाइज करतेरहो तो नशा स्थाई रहेगा। नहीं तो माया के तूफानों में आने से नशा उड़ जायेगा। अगरकोई भूल चलते-चलते हो जाये तो फौरन सुनाकर हल्के हो जाओ फिर दुबारा वह भूल न हो, नहीं तो वृद्धि होती रहेगी।

गीत:-दु:खियोंपर रहम करो माँ बाप हमारे...

धारणा केलिए मुख्य सार:
1) इस बेगरीजीवन में पूरा-पूरा देही-अभिमानी बनना है। किसी भी चीज़ का जास्ती लोभ नहीं रखना है, जो मिले सो अच्छा। मांगने सेमरना भला।
2) अपनाअहंकार न रख माताओं को मर्तबा देना है। बाप समान निराकारी-निरहंकारी बनना है।ज्ञान धन का दान करना है।

वरदान:रहम कीभावना को इमर्ज कर दु:ख दर्द की दुनिया को परिवर्तन करने वाले मास्टर मर्सीफुल भव

प्रकृतिकी हलचल में जब आत्मायें चिल्लाती हैं, मर्सी और रहम मांगती हैं तोअपने मर्सीफुल स्वरूप को इमर्ज कर उनकी पुकार सुनो। दु:ख दर्द की दुनिया कोपरिवर्तन करने के लिए स्वयं को सम्पन्न बनाओ। परिवर्तन की शुभ भावना को तीव्र करो।आपके सम्पन्न बनने से यह दु:ख की दुनिया सम्पन्न (समाप्त) हो जायेगी, इसलिए स्वयं प्रति, चाहे सर्व आत्माओं के प्रति रहमकी भावना इमर्ज करो। जहाँ रहम होगा, वहाँ तेरा-मेरा की हलचल नहींहोगी।

स्लोगन:ज्ञान औरयोग के दोनों पंख मजबूत हों तब उड़ती कला का अनुभव कर सकेंगे।

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris....