Friday, March 2, 2012

Murli [2-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - अब बेहद की रात पूरी हो रही है, दिन आने वाला है, वापिस घर चलना है इसलिए अब दर-दर भटकना बंद करो''
प्रश्न: किस प्रैक्टिस के आधार पर तुम बच्चे सर्विस बहुत अच्छी कर सकते हो?
उत्तर: यदि कम से कम 8 घण्टे तक याद बनी रहे, यह प्रैक्टिस हो जाए तो सर्विस बहुत अच्छी कर सकते क्योंकि याद से ही सारे विश्व में पवित्रता और शान्ति के वायब्रेशन फैलते हैं। याद से ही विकर्म भी विनाश होंगे और पद भी ऊंच मिलेगा इसलिए इस रूहानी यात्रा में कभी भी थकना नहीं है। जिस्म का भान छोड़ देही-अभिमानी बनने का निरन्तर अभ्यास करते रहना है।
गीत:- रात के राही थक मत जाना.....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) पक्का निश्चयबुद्धि बन दृढ़ संकल्प करना है कि बाप का हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे। बाप और घर को घड़ी-घड़ी याद करना है।
2) देही-अभिमानी बनने की मेहनत करनी है। 5 विकारों रूपी रावण की कैद से छूटने के लिए श्रीमत पर चलना है। मन्दिर लायक बनने का पुरुषार्थ करना है।
वरदान: परवश आत्माओं को रहम के शीतल जल द्वारा वरदान देने वाले वरदानी मूर्त भव
यदि कोई क्रोध अग्नि में जलता हुआ आपके सामने आये, तो उसे परवश समझ अपने रहम के शीतल जल द्वारा वरदान दो। तेल के छींटे नहीं डालो, अगर किसी के प्रति क्रोध की भावना भी रखी तो तेल के छींटें डाले, इसलिए वरदानी मूर्त बन सहनशीलता की शक्ति का वरदान दो। जब अभी चैतन्य में यह संस्कार भरेंगे तब जड़ चित्रों द्वारा भी वरदानी मूर्त बनेंगे।
स्लोगन: परमात्म मिलन मेले की मौज में रहो तो माया के झमेले समाप्त हो जायेंगे।