Saturday, March 24, 2012

Murli [23-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम ब्राह्मण हो यज्ञ रक्षक, यह यज्ञ ही तुम्हें मन-इच्छित फल देने वाला है''

प्रश्न: किन दो बातों के आधार से 21 जन्मों के लिए सब दु:खों से छूट सकते हो?
उत्तर: प्यार से यज्ञ की सेवा करो और बाप को याद करो तो 21 जन्म कभी दु:खी नहीं होंगे। दु:ख के आंसू नहीं बहायेंगे। तुम बच्चों को बाप की श्रीमत है - बच्चे बाप के सिवाए कोई भी मित्र सम्बन्धी, दोस्त आदि को याद न करो। बन्धनमुक्त बन प्यार से यज्ञ की सम्भाल करो तो मन-इच्छित फल मिलेगा।
गीत:- बचपन के दिन भुला न देना..

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) देह सहित सबसे मोह निकाल, बाप और अविनाशी ज्ञान रत्नों से मोह रखना है। ज्ञान रत्न दान करते रहना है।
2) पढ़ाई और सर्विस पर पूरा ध्यान देना है, बाप समान मीठा बनना है। संसार समाचार न सुनना है, न दूसरों को सुनाकर मुख कडुवा करना है।

वरदान: शान्ति की शक्ति द्वारा असम्भव को सम्भव करने वाले योगी तू आत्मा भव

शान्ति की शक्ति सर्वश्रेष्ठ शक्ति है। और सभी शक्तियां इसी एक शक्ति से निकली हैं। साइन्स की शक्ति भी इसी शान्ति की शक्ति से निकली है। शान्ति की शक्ति द्वारा असम्भव को भी सम्भव कर सकते हो। जिसे दुनिया वाले असम्भव कहते वह आप योगी तू आत्मा बच्चों के लिए सहज सम्भव है। वह कहेंगे परमात्मा तो बहुत ऊंचा हजारों सूर्यो से तेजोमय है, लेकिन आप अपने अनुभव से कहते - हमने तो उसे पा लिया, शान्ति की शक्ति से स्नेह के सागर में समा गये।

स्लोगन: निमित्त बन निर्माण का कार्य करने वाले ही सच्चे सेवाधारी हैं।

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris....