Thursday, March 29, 2012

Murli [29-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - अगर बाप से मिलन मनाना है, पावन बनना है तो सच्चे-सच्चे रूहानी आशिक बनो, एक बाप के सिवाए किसी को भी याद न करो''
प्रश्न: ब्राह्मण जो देवता बनते हैं, उन ब्राह्मणों का पद देवताओं से भी ऊंचा है, कैसे?
उत्तर: ब्राह्मण इस समय सच्चे-सच्चे रूहानी सोशल वर्कर हैं। मनुष्यों की रूह को पवित्रता, योग का इन्जेक्शन लगाते हैं। भारत के डूबे हुए बेड़े को श्रीमत पर पार लगाते हैं। नर्कवासी भारत को स्वर्गवासी बनाते हैं। ऐसी सेवा देवतायें नहीं करेंगे। वह तो इस समय के सेवा की प्रालब्ध भोगते हैं, इसलिए ब्राह्मण देवताओं से भी ऊंच हैं।
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ज्ञान चिता पर बैठ सम्पूर्ण पावन (गोरा) बनना है। पवित्रता ही नम्बरवन ब्युटी है, इस ब्युटी को धारण कर बाप का बच्चा कहलाने का हकदार बनना है।
2) इस कयामत के समय में सिर पर जो पापों का बोझा है, उसे एक बाप की याद से उतारना है। पुण्य आत्मा बनने के लिए श्रेष्ठ कर्म करना है।
वरदान: निर्माणता की महानता द्वारा सर्व की दुआयें प्राप्त करने वाले मास्टर सुखदाता भव
महानता की निशानी निर्माणता है, जितना निर्माण बनेंगे उतना सबके दिल में महान स्वत: बनेंगे। निर्माणता निरंहकारी सहज बनाती है। निर्माणता का बीज महानता का फल स्वत: प्राप्त कराता है। निर्माणता ही सबकी दुआयें प्राप्त करने का सहज साधन है। निर्माणता महिमा योग्य बना देती है। निर्माणता सबके मन में प्यार का स्थान बना देती है। वह बाप समान मास्टर सुखदाता बन जाते हैं।
स्लोगन: श्रेष्ठ जीवन का अनुभव करने के लिए निश्चय का फाउण्डेशन मजबूत हो।