Tuesday, March 6, 2012

Murli [6-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम बाप के बने हो इस दुनिया से मरने के लिए, ऐसी अवस्था पक्की करो जो अन्त में बाप के सिवाए कोई भी याद न आये''
प्रश्न: सबसे तीखी आग कौन सी है जो सारी दुनिया को इस समय लगी हुई है, उसको बुझाने का तरीका सुनाओ?
उत्तर: सारी दुनिया में इस समय ''काम'' की आग लगी हुई है, यह आग सबसे तीखी है। इस आग को बुझाने वाली रूहानी मिशन एक ही है, इसके लिए स्वयं को फायरब्रिगेड बनाना है। सिवाए योगबल के यह आग बुझ नहीं सकती। काम विकार ही सबकी सत्यानाश करता है इसलिए इस भूत को भगाने का पूरा पुरुषार्थ करो।
गीत:- महफिल में जल उठी शमा.....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अब यह नाटक पूरा हुआ, हमें वापिस मुक्तिधाम में जाना है। इस खुशी में रह पुरानी देह का अभिमान छोड़ देना है।
2) एक बाप की मत पर चलना है। बाप को अपनी मत नहीं देनी है। निश्चयबुद्धि बन बाप की जो श्रीमत मिली है, उस पर चलते रहना है।
वरदान: स्वदर्शन चक्र के टाइटल की स्मृति द्वारा परदर्शन मुक्त बनने वाले मायाजीत भव
संगमयुग पर स्वयं बाप बच्चों को भिन्न-भिन्न टाइटल्स देते हैं, उन्हीं टाइटल्स को स्मृति में रखो तो श्रेष्ठ स्थिति में सहज ही स्थित हो जायेंगे। सिर्फ बुद्धि से वर्णन नहीं करो लेकिन सीट पर सेट हो जाओ, जैसा टाइटल वैसी स्थिति हो। यदि स्वदर्शन चक्रधारी का टाइटल स्मृति में रहे तो परदर्शन चल नहीं सकता। स्वदर्शन चक्रधारी अर्थात् मायाजीत। माया उसके आगे आने की हिम्मत भी नहीं रख सकती। स्वदर्शन चक्र के आगे कोई भी ठहर नहीं सकता।
स्लोगन: वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव करो और कराओ तो बचपन के खेल समाप्त हो जायेंगे।