Thursday, March 8, 2012

Murli [8-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम्हें अपनी तकदीर हीरे जैसी बनानी है, पुरूषार्थ कर बाप से स्वर्ग का पूरा-पूरा वर्सा लेना है''
प्रश्न: कौन सा राज़ बुद्धि में अगर युक्तियुक्त बैठ जाए तो अपार खुशी रहेगी?
उत्तर: ड्रामा का। इस ड्रामा में हर एक्टर को अविनाशी पार्ट मिला हुआ है, जो बजाना ही है। कोई का भी पार्ट घिसता वा मिटता नहीं। बनी बनाई बन रही... इसमें हेर-फेर भी नहीं हो सकती। कल्प पूरा होगा तो फिर से वही पार्ट सेकेण्ड बाई सेकेण्ड रिपीट होगा। यह बहुत गुह्य राज़ है जो युक्तियुक्त बुद्धि में बैठे तो खुशी रहे। नहीं तो मूँझते हैं। बाबा कहते हैं बच्चे मूँझो नहीं। बाप में निश्चय रख पूरा वर्सा लेने का पुरुषार्थ करो।
गीत:- तुम्हें पाके हमने .....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) पुरानी दुनिया को देख लट्टू नहीं बनना है। अपनी बैग बैगेज ट्रांसफर कर देनी है। अपना सब कुछ इन्श्योर कर देना है।
2) कोई भी वस्तु में अगर ममत्व नहीं है तो फिर कौड़ी से हीरे जैसा बनने की सेवा करनी है। दान करने से ही ज्ञान धन बढ़ेगा।
वरदान: पावरफुल ब्रेक द्वारा सेकण्ड में व्यक्त भाव से परे होने वाले अव्यक्त फरिश्ता व अशरीरी भव
चारों ओर आवाज का वायुमण्डल हो लेकिन आप एक सेकण्ड में फुलस्टॉप लगाकर व्यक्त भाव से परे हो जाओ, एकदम ब्रेक लग जाए तब कहेंगे अव्यक्त फरिश्ता वा अशरीरी। अभी इस अभ्यास की बहुत आवश्यकता है क्योंकि अचानक प्रकृति की आपदायें आनी हैं, उस समय बुद्धि और कहाँ भी नहीं जाये, बस बाप और मैं, बुद्धि को जहाँ लगाने चाहें वहाँ लग जाए। इसके लिए समाने और समेटने की शक्ति चाहिए, तब उड़ती कला में जा सकेंगे।
स्लोगन: खुशी की खुराक खाते रहो तो मन और बुद्धि शक्तिशाली बन जायेगी।