मीठे बच्चे – यह संगमयुग उत्तम से उत्तम बनने का युग है, इसमें ही तुम्हें पतित से
पावन बन पावन दुनिया बनानी है
प्रश्न:- अन्तिम दर्दनाक सीन को देखने के लिए मजबूती किस आधार पर आयेगी?
उत्तर:- शरीर का भान निकालते जाओ अन्तिम सीन बहुत कड़ी है | बाप बच्चों को
मज़बूत बनाने के लिए अशरीरी बनने का इशारा देते हैं जैसे बाप इस शरीर से अलग
हो तुम्हें सिखलाते हैं, ऐसे तुम बच्चे भी अपने को शरीर से अलग समझो, अशरीरी
बनने का अभ्यास करो | बुद्धि में रहे कि अब घर जाना है
ओम् शान्ति
बाबा ने देखा, बच्चे याद में नहीं रहते हैं, बहुत कमज़ोर हैं इसलिए सर्विस भी नहीं बढती है
घड़ी-घड़ी लिखते हैं – बाबा, याद भूल जाती है, बुद्धि लगती नहीं है | बाबा कहते हैं योग अक्षर
छोड़ दो विश्व की बादशाही देने वाले बाप को तुम भूल जाते हो! आगे भक्ति में बुद्धि कहीं और
तरफ़ चली जाती थी तो अपने को चुटकी काटते थे | बाबा कहते तुम आत्मा अविनाशी हो
सिर्फ़ तुम पावन और पतित बनते हो बाकी आत्मा कोई छोटी-बड़ी नहीं होती है अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमॉर्निंग
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. अपने आपसे बातें करो – ओहो! बाबा आया है हमारी सर्विस में वह हमें घर बैठे पढ़ा
रहे हैं! बेहद का बाबा बेहद का सुख देने वाला है, उनसे हम अभी मिले हैं ऐसे प्यार से
बाबा कहो और ख़ुशी में प्रेम के आँसू आ जाएं रोमांच खड़े हो जाएं
2. अब वापस घर जाना है इसलिए सबसे ममत्व निकाल जीते जी मरना है
इस देह को भी भूलना है इससे अलग होने का अभ्यास करना है
वरदान:- सत्यता की शक्ति द्वारा सदा ख़ुशी में नाचने वाले शक्तिशाली महान आत्मा भव !
कहा जाता है “सच तो बिठो नच” सच्चा अर्थात् सत्यता की शक्ति वाला सदा नाचता रहेगा,
कभी मुरझायेगा नहीं, उलझेगा नहीं, घबरायेगा नहीं, कमज़ोर नहीं होगा वह ख़ुशी में सदा
नाचता रहेगा शक्तिशाली होगा उसमें सामना करने की शक्ति होगी, सत्यता कभी हिलती
नहीं है, अचल होती है सत्य की नांव डोलती है लेकिन डूबती नहीं तो सत्यता की शक्ति
को धारण करने वाली आत्मा ही महान है
स्लोगन:- व्यस्त मन-बुद्धि को सेकण्ड में स्टॉप कर लेना ही सर्वश्रेष्ठ अभ्यास है