Wednesday, April 16, 2014

Murli-[16-4-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अपना पोतामेल चेक करो कि सारे दिन में बाप को कितना समय याद किया, 
कोई भूल तो नहीं की? क्योंकि तुम हर एक व्यापारी हो'' 

प्रश्न:- कौन-सी एक मेहनत अन्तर्मुखी बन करते रहो तो अपार खुशी रहेगी?
उत्तर:- जन्म-जन्मान्तर जो कुछ किया है, जो सामने आता रहता है, उन सबसे बुद्धियोग निकाल सतोप्रधान 
बनने के लिए बाप को याद करने की मेहनत करते रहो। चारों तरफ से बुद्धि हटाए अन्तर्मुखी बन बाप को 
याद करो। सर्विस का सबूत दो तो अपार खुशी रहेगी। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) दूसरी सब बातों को छोड़, बुद्धि को चारों तरफ से हटाकर सतोप्रधान बनने के लिए अशरीरी बनने का 
अभ्यास करना है। दैवीगुण धारण करने हैं। 

2) बुद्धि में अच्छे-अच्छे ख्यालात लाने हैं, हमारे राज्य (स्वर्ग) में क्या-क्या होगा, उस पर विचार कर अपने 
को उस जैसे लायक चरित्रवान बनाना है। यहाँ से बुद्धि निकाल देनी है। 

वरदान:- अविनाशी प्राप्तियों की स्मृति से अपने श्रेष्ठ भाग्य की खुशी में रहने वाले इच्छा मात्रम् अविद्या भव 

जिसका बाप ही भाग्य विधाता हो उसका भाग्य क्या होगा! सदा यही खुशी रहे कि भाग्य तो हमारा जन्म 
सिद्ध अधिकार है। ``वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य और भाग्य विधाता बाप'' यही गीत गाते खुशी में उड़ते रहो। ऐसा 
अविनाशी खजाना मिला है जो अनेक जन्म साथ रहेगा, कोई छीन नहीं सकता, लूट नहीं सकता। कितना 
बड़ा भाग्य है जिसमें कोई इच्छा नहीं, मन की खुशी मिल गई तो सर्व प्राप्तियां हो गई। कोई अप्राप्त वस्तु है 
ही नहीं इसलिए इच्छा मात्रम् अविद्या बन गये। 

स्लोगन:- विकर्म करने का टाइम बीत गया, अभी व्यर्थ संकल्प, बोल भी बहुत धोखा देते हैं।