Friday, April 18, 2014

Murli-[18-4-2014]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - और संग तोड़ एक संग जोड़ो, भाई-भाई की दृष्टि से देखो तो 
देह नहीं देखेंगे, दृष्टि बिगड़ेगी नहीं, वाणी में ताक़त रहेगी 

प्रश्न:- बाप बच्चों का कर्जदार है या बच्चे बाप के? 
उत्तर:- तुम बच्चे तो अधिकारी हो, बाप तुम्हारा कर्जदार है। तुम बच्चे दान देते हो तो 
तुम्हें एक का सौ गुणा बाप को देना पड़ता है। ईश्वर अर्थ तुम जो देते हो दूसरे जन्म में 
उसका रिटर्न मिलता है। तुम चावल मुट्ठी देकर विश्व का मालिक बनते तो तुम्हें 
कितना फ्राकदिल होना चाहिए। मैंने बाबा को दिया, यह ख्याल भी कभी नहीं आना चाहिए। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) भगवान् ने हमें एडाप्ट किया है, वही हमें टीचर बनकर पढ़ा रहे हैं, अपने पद्मापद्म 
भाग्य का सिमरण कर खुशी में रहना है। 

2) हम आत्मा भाई-भाई हैं, यह दृष्टि पक्की करनी है। देह को नहीं देखना है। 
भगवान् से सौदा करने के बाद फिर बुद्धि को भटकाना नहीं है। 

वरदान:- मेरे को तेरे में परिवर्तन कर बेफिक्र बादशाह बनने वाले खुशी के खजाने से भरपूर भव 

जिन बच्चों ने सब कुछ तेरा किया वही बेफिकर रहते हैं। मेरा कुछ नहीं, सब तेरा है...जब 
ऐसा परिवर्तन करते हो तब बेफिकर बन जाते हो। जीवन में हर एक बेफिकर रहना चाहता है, 
जहाँ फिकर नहीं वहाँ सदा खुशी होगी। तो तेरा कहने से, बेफिकर बनने से खुशी के खजाने 
से भरपूर हो जाते हो। आप बेफिकर बादशाहों के पास अनगिनत, अखुट, अविनाशी खजाने 
हैं जो सतयुग में भी नहीं होंगे। 

स्लोगन:- खजानों को सेवा में लगाना अर्थात् जमा का खाता बढ़ाना।