Monday, April 21, 2014

Murli-[21-4-2014]-Hindi



मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - गृहस्थ व्यवहार में रहते पारलौकिक बाप से पूरा वर्सा लेना है, 
तो अपना सब कुछ एक्सचेंज कर दो, यह बहुत बड़ा व्यापार है'' 

प्रश्न:- ड्रामा का ज्ञान किस बात में तुम बच्चों को बहुत मदद करता है? 
उत्तर:- जब शरीर की कोई बीमारी आती है तो ड्रामा का ज्ञान बहुत मदद करता है क्योंकि 
तुम जानते हो यह ड्रामा हूबहू रिपीट होता है। इसमें रोने पीटने की कोई बात नहीं। कर्मों का 
हिसाब-किताब चुक्तू होना है। 21 जन्मों के सुख की भेंट में यह दु:ख कुछ भी भासता नहीं। 
ज्ञान पूरा नहीं तो तड़फते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सवेरे-सवेरे उठ शरीर से न्यारा होने की ड्रिल करनी है। पुरानी दुनिया, पुराना चोला कुछ 
भी याद न आये। सब कुछ भूला हुआ हो। 

2) संगमयुग पर पाप आत्माओं से लेन-देन नहीं करनी है। कर्मों का हिसाब-किताब खुशी-खुशी 
से चुक्तू करना है। रोना पीटना नहीं है। सब कुछ बाप पर न्योछावर कर फिर ट्रस्टी बन सम्भालना है। 

वरदान:- ईश्वरीय सेवा के बंधन द्वारा समीप संबंध में आने वाले रॉयल फैमिली के अधिकारी भव 

ईश्वरीय सेवा का बंधन नजदीक सम्बन्ध में लाने वाला है। जितनी जो सेवा करता है उतना सेवा 
का फल समीप सम्बन्ध में आता है। यहाँ के सेवाधारी वहाँ की रॉयल फैमिली के अधिकारी बनेंगे। 
जितनी यहाँ हार्ड सेवा करते उतना वहाँ आराम से सिंहासन पर बैठेंगे और यहाँ जो आराम करते हैं 
वह वहाँ काम करेंगे। एक-एक सेकण्ड का, एक एक काम का हिसाब-किताब बाप के पास है। 

स्लोगन:- स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन का वायब्रेशन तीव्रगति से फैलाओ।