मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप को प्यार से याद करो तो तुम निहाल हो जायेंगे,
प्रश्न:- नज़र से निहाल कींदा स्वामी सतगुरू.... इसका वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर:- आत्मा को बाप द्वारा जब तीसरी आंख मिलती है और उस आंख से बाप को
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) शमा पर जीते जी मरने वाला परवाना बनना है, सिर्फ फेरी लगाने वाला नहीं।
2) और सब संग तोड़ एक बाप के संग में रहना है। एक की याद से स्वयं को निहाल
वरदान:- देह-भान से न्यारे बन परमात्म प्यार का अनुभव करने वाले कमल आसनधारी भव
कमल आसन ब्राह्मण आत्माओं के श्रेष्ठ स्थिति की निशानी है। ऐसी कमल आसनधारी
स्लोगन:- आपकी विशेषतायें वा गुण प्रभु प्रसाद हैं, उन्हें मेरा मानना ही देह-अभिमान है।
नज़र से निहाल होना माना विश्व का मालिक बनना''
प्रश्न:- नज़र से निहाल कींदा स्वामी सतगुरू.... इसका वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर:- आत्मा को बाप द्वारा जब तीसरी आंख मिलती है और उस आंख से बाप को
पहचान लेती है तो निहाल हो जाती अर्थात् सद्गति मिल जाती है। बाबा कहते-बच्चे,
देही-अभिमानी बन तुम मेरे से नज़र लगाओ अर्थात् मुझे याद करो, और संग तोड़
एक मेरे संग जोड़ो तो बेहाल अर्थात् कंगाल से निहाल अर्थात् साहूकार बन जायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) शमा पर जीते जी मरने वाला परवाना बनना है, सिर्फ फेरी लगाने वाला नहीं।
ईश्वरीय पढ़ाई को धारण करने के लिए बुद्धि को सम्पूर्ण पावन बनाना है।
2) और सब संग तोड़ एक बाप के संग में रहना है। एक की याद से स्वयं को निहाल
करना है।
वरदान:- देह-भान से न्यारे बन परमात्म प्यार का अनुभव करने वाले कमल आसनधारी भव
कमल आसन ब्राह्मण आत्माओं के श्रेष्ठ स्थिति की निशानी है। ऐसी कमल आसनधारी
आत्मायें इस देहभान से स्वत: न्यारी रहती हैं। उन्हें शरीर का भान अपनी तरफ
आकर्षित नहीं करता। जैसे ब्रह्मा बाप को चलते फिरते फरिश्ता रूप वा देवता रूप सदा
स्मृति में रहा। ऐसे नेचुरल देही-अभिमानी स्थिति सदा रहे इसको कहते हैं देह-भान से
न्यारे। ऐसे देह-भान से न्यारे रहने वाले ही परमात्म प्यारे बन जाते हैं।
स्लोगन:- आपकी विशेषतायें वा गुण प्रभु प्रसाद हैं, उन्हें मेरा मानना ही देह-अभिमान है।