मीठे बच्चे - तुम्हें अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है, अन्दर में नॉलेज का सिमरण करते
रहो तो निद्राजीत बन जायेंगे, उबासी आदि नहीं आयेगी
रहो तो निद्राजीत बन जायेंगे, उबासी आदि नहीं आयेगी
प्रश्न:- तुम बच्चे बाप पर फिदा क्यों हुए हो? फिदा होने का अर्थ क्या है ?
उत्तर:- फिदा होना अर्थात् बाप की याद में समा जाना । जब याद में समा जाते हो तो
आत्मा रूपी बैटरी चार्ज हो जाती है । आत्मा रूपी बैटरी निराकार बाप से जुटती है,
तो बैटरी चार्ज हो जाती है, विकर्म विनाश हो जाते हैं । कमाई जमा हो जाती है ।
आत्मा रूपी बैटरी चार्ज हो जाती है । आत्मा रूपी बैटरी निराकार बाप से जुटती है,
तो बैटरी चार्ज हो जाती है, विकर्म विनाश हो जाते हैं । कमाई जमा हो जाती है ।
मीठे- मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात- पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1. बाप से अविनाशी ज्ञान धन लेकर दूसरों को दान करना है । ज्ञान दान करने में
मनहूस नहीं बनना है । ज्ञान की प्याइंटस अन्दर टपकती रहे । राजा बनने के लिए
प्रजा जरूर बनानी है ।
मनहूस नहीं बनना है । ज्ञान की प्याइंटस अन्दर टपकती रहे । राजा बनने के लिए
प्रजा जरूर बनानी है ।
2. अपना पोतामेल देखना है - (1) मैं बाप समान प्रेम का सागर बना हूँ? (2) कभी
किसी को नाराज तो नहीं करता हूँ? (3) अपनी चलन पर पूरी नजर है?
किसी को नाराज तो नहीं करता हूँ? (3) अपनी चलन पर पूरी नजर है?
वरदान:-सहज योग की साधना द्वारा साधनों पर विजय प्राप्त करने वाले प्रयोगी आत्मा भव !
साधनों के होते, साधनों को प्रयोग में लाते योग की स्थिति डगमग न हो । योगी बन
प्रयोग करना इसको कहते हैं न्यारा । होते हुए निमित्त मात्र, अनासक्त रूप से प्रयोग करो ।
अगर इच्छा होगी तो वह इच्छा अच्छा बनने नहीं देगी । मेहनत करने में ही समय बीत
जायेगा । उस समय आप साधना में रहने का प्रयत्न करेंगे और साधन अपनी तरफ
आकर्षित करेंगे इसलिए प्रयोगी आत्मा बन सहजयोग की साधना द्वारा साधनों के
ऊपर अर्थात् प्रकृति पर विजयी बनो ।
प्रयोग करना इसको कहते हैं न्यारा । होते हुए निमित्त मात्र, अनासक्त रूप से प्रयोग करो ।
अगर इच्छा होगी तो वह इच्छा अच्छा बनने नहीं देगी । मेहनत करने में ही समय बीत
जायेगा । उस समय आप साधना में रहने का प्रयत्न करेंगे और साधन अपनी तरफ
आकर्षित करेंगे इसलिए प्रयोगी आत्मा बन सहजयोग की साधना द्वारा साधनों के
ऊपर अर्थात् प्रकृति पर विजयी बनो ।
स्लोगन:- स्वयं सन्तुष्ट रह, सबको सन्तुष्ट करना ही सन्तुष्टमणि बनना है ।