Monday, July 21, 2014

Murli-[21-7-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अब सतोप्रधान बन घर जाना है इसलिए अपने को आत्मा समझ 
निरन्तर बाप को याद करने का अभ्यास करो, उन्नति का सदा ख्याल रखो'' 

प्रश्न:- पढ़ाई में दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ रहे हैं या पीछे हट रहे हैं उसकी निशानी क्या है? 
उत्तर:- पढ़ाई में अगर आगे बढ़ रहे हैं तो हल्केपन का अनुभव होगा। बुद्धि में रहेगा यह शरीर 
तो छी-छी है, इसको छोड़ना है, हमको तो अब घर जाना है। दैवीगुण धारण करते जायेंगे। 
अगर पीछे हट रहे हैं तो चलन से आसुरी गुण दिखाई देंगे। चलते-फिरते बाप की याद नहीं 
रहेगी। वह फूल बन सबको सुख नहीं दे सकेंगे। ऐसे बच्चों को आगे चल साक्षात्कार होंगे 
फिर बहुत सजायें खानी पड़ेंगी। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) चलते फिरते बुद्धि में पढ़ाई का चिंतन करना है। कोई भी कार्य करते बुद्धि में सदा ज्ञान 
टपकता रहे। यह दी बेस्ट पढ़ाई है, जिसे पढ़कर डबल क्राउन बनना है। 

2) अभ्यास करना है हम आत्मा भाई-भाई हैं। देह-अभिमान में आने से उल्टे काम होते हैं 
इसलिए जितना हो सके देही-अभिमानी रहना है। 

वरदान:- अपनी श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा विश्व का वातावरण परिवर्तन करने वाले आधारमूर्त भव 

आप बच्चे सिर्फ अपने जीवन के लिए आधार नहीं हो लेकिन विश्व की सर्व आत्माओं के 
आधारमूर्त हो। आपकी श्रेष्ठ वृत्ति से विश्व का वातावरण परिवर्तन हो रहा है। आपकी पवित्र 
दृष्टि से विश्व की आत्मायें और प्रकृति दोनों पवित्र बन रही हैं। दृष्टि से सृष्टि बदल रही है। 
आपके श्रेष्ठ कर्मो से श्रेष्ठाचारी दुनिया बन रही है। अभी जब आप इतनी बड़ी जिम्मेवारी के 
ताजधारी बनते हो तब भविष्य में ताज तख्त मिलता है। 

स्लोगन:- सर्वशक्तिमान बाप को अपना साथी बना लो तो कोई भी विघ्न आपको रोक नहीं सकता।