Tuesday, July 22, 2014

Murli-[22-7-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - सुन्न अवस्था अर्थात् अशरीरी बनने का अभी समय है, 
इसी अवस्था में रहने का अभ्यास करो'' 

प्रश्न:- सबसे ऊंची मंज़िल कौन-सी है, उसकी प्राप्ति कैसे होगी? 
उत्तर:- सम्पूर्ण सिविलाइज्ड बनना, यही ऊंच मंज़िल है। कर्मेन्द्रियों में ज़रा भी चलायमानी 
न आये तब सम्पूर्ण सिविलाइज्ड बनें। जब ऐसी अवस्था हो तब विश्व की बादशाही मिल 
सकती है। गायन भी है चढ़े तो चाखे........ अर्थात् राजाओं का राजा बने, नहीं तो प्रजा। 
अब जांच करो मेरी वृत्ति कैसी है? कोई भी भूल तो नहीं होती है? 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अपनी सम्भाल करने के लिए कदम-कदम पर जांच करनी है कि :- 
(अ) आज मुझ आत्मा की वृत्ति कैसी रही? 
(ब) आंखे सिविल रहीं? 
(स) देह-अभिमान वश कौन-सा पाप हुआ? 

2. बुद्धि में अविनाशी ज्ञान धन धारण कर फिर दान करना है। ज्ञान तलवार 
में याद 
का जौहर जरूर भरना है। 

वरदान:- विशेषता के संस्कारों को नेचुरल नेचर बनाए साधारणता को समाप्त करने वाले मरजीवा भव
 
जो नेचर होती है वह स्वत: अपना काम करती है, सोचना, बनाना या करना नहीं पड़ता 
है लेकिन स्वत: हो जाता है। ऐसे मरजीवा जन्मधारी ब्राह्मणों की नेचर ही है विशेष आत्मा 
के विशेषता की। यह विशेषता के संस्कार नेचुरल नेचर बन जाएं और हर एक के दिल से 
निकले कि मेरी यह नेचर है। साधारणता पास्ट की नेचर है, अभी की नहीं क्योंकि नया 
जन्म ले लिया। तो नये जन्म की नेचर विशेषता है साधारणता नहीं। 

स्लोगन:- रॉयल वह हैं जो सदा ज्ञान रत्नों से खेलते, पत्थरों से नहीं।