मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें साहेबजादे सो शहजादे बनना है, इसलिए याद
प्रश्न:- किस एक विधि से तुम्हारे सब दु:ख दूर हो जाते हैं?
उत्तर:- जब तुम अपनी नज़र बाप की नज़र से मिलाते हो तो नज़र मिलने से
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) कर्म-अकर्म-विकर्म की गुह्य गति जो बाप ने समझाई है, वह बुद्धि में रख पाप
2) श्रीमत पर अपना बुद्धियोग एक बाप से लगाना है। सतोप्रधान बनने का पुरूषार्थ
वरदान:- उमंग-उत्साह से विश्व कल्याण की जिम्मेवारी निभाने वाले आलस्य व
चाहे नये हो या पुराने हो, ब्राह्मण बनना माना विश्व कल्याण की जिम्मेवारी लेना।
स्लोगन:- समय प्रमाण शक्तियों को यूज़ करना माना ज्ञानी और योगी तू आत्मा बनना।
की यात्रा से अपने विकर्मों को भस्म करो''
प्रश्न:- किस एक विधि से तुम्हारे सब दु:ख दूर हो जाते हैं?
उत्तर:- जब तुम अपनी नज़र बाप की नज़र से मिलाते हो तो नज़र मिलने से
तुम्हारे सब दु:ख दूर हो जाते हैं क्योंकि अपने को आत्मा समझकर बाप को याद
करने से सब पाप कट जाते हैं। यही है तुम्हारी याद की यात्रा। तुम देह के सब धर्म
छोड़ बाप को याद करते हो, जिससे आत्मा सतोप्रधान बन जाती है, तुम सुखधाम
के मालिक बन जाते हो।
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) कर्म-अकर्म-विकर्म की गुह्य गति जो बाप ने समझाई है, वह बुद्धि में रख पाप
आत्माओं से अब लेन-देन नहीं करनी है।
2) श्रीमत पर अपना बुद्धियोग एक बाप से लगाना है। सतोप्रधान बनने का पुरूषार्थ
करना है। दु:खधाम को सुखधाम बनाने के लिए पतित से पावन बनने का पुरूषार्थ
करना है। क्रिमिनल दृष्टि को बदलना है।
वरदान:- उमंग-उत्साह से विश्व कल्याण की जिम्मेवारी निभाने वाले आलस्य व
अलबेलेपन से मुक्त भव
चाहे नये हो या पुराने हो, ब्राह्मण बनना माना विश्व कल्याण की जिम्मेवारी लेना।
जब कोई भी जिम्मेवारी होती है तो तीव्रगति से पूरी करते हैं, जिम्मेवारी नहीं होती
है तो अलबेले रहते हैं। जिम्मेवारी आलस्य और अलबेलापन समाप्त कर देती है।
उमंग-उत्साह वाले अथक होते हैं। वे अपने चेहरे और चलन द्वारा औरों का भी
उमंग-उत्साह बढ़ाते रहते हैं।
स्लोगन:- समय प्रमाण शक्तियों को यूज़ करना माना ज्ञानी और योगी तू आत्मा बनना।