Tuesday, July 29, 2014

Murli-[29-7-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - सर्विस समाचार सुनने, पढ़ने का भी तुम्हें शौक चाहिए, 
क्योंकि इससे उमंग-उत्साह बढ़ता है, सर्विस करने का संकल्प उठता है'' 

प्रश्न:- संगमयुग पर बाप तुम्हें सुख नहीं देते हैं लेकिन सुख का रास्ता बताते हैं - क्यों? 
उत्तर:- क्योंकि बाप के सब बच्चे हैं, अगर एक बच्चे को सुख दें तो यह भी ठीक नहीं। 
लौकिक बाप से बच्चों को बराबर हिस्सा मिलता है, बेहद का बाप हिस्सा नहीं बाँटते, 
सुख का रास्ता बताते हैं। जो उस रास्ते पर चलते हैं, पुरूषार्थ करते हैं, उन्हें ऊंच पद 
मिलता है। बच्चों को पुरूषार्थ करना है, सारा मदार पुरूषार्थ पर है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) किसी भी बात में बेवश नहीं होना है। स्वयं में ज्ञान को धारण कर दान करना है। 
औरों की भी तकदीर जगानी है। 

2) किसी से भी बात करते समय स्वयं को आत्मा समझ आत्मा से बात करनी है। 
ज़रा भी देह-अभिमान न आये। बाप से जो अपार सुख मिले हैं, वो दूसरों को बांटने हैं। 

वरदान:- नॉलेज की लाइट माइट से रांग को राइट में परिवर्तन करने वाले ज्ञानी तू आत्मा भव 

कहा जाता है नॉलेज इज़ लाइट, माइट। जहाँ लाइट अर्थात् रोशनी है कि ये रांग है, ये राइट 
है, ये अंधकार है, ये प्रकाश है, ये व्यर्थ है, यह समर्थ है - तो रांग समझने वाले रांग कर्मो 
वा संकल्पों के वशीभूत हो नहीं सकते। ज्ञानी तू आत्मा अर्थात् समझदार, ज्ञान स्वरूप, 
कभी यह नहीं कह सकते कि ऐसा होना तो चाहिए...लेकिन उनके पास रांग को राइट में 
परिवर्तन करने की शक्ति होती है। 

स्लोगन:- जो सदा शुभ-चिन्तक और शुभ-चिन्तन में रहते हैं वह व्यर्थ चिन्तन से छूट जाते हैं।