मुरली सार:- “मीठे बच्चे - तुम जितना बाप को याद करेंगे उतना आत्मा में लाइट आयेगी,
प्रश्न:- माया किन बच्चों को ज़रा भी तंग नहीं कर सकती?
उत्तर:- जो पक्के योगी हैं, जिन्होंने योगबल से अपनी सर्व कर्मेन्द्रियों को शीतल बनाया है,
धारणा के लिए मुख्य सार:-
2) ज्ञानवान बन आत्माओं को सुजाग करने की सेवा करनी है। आत्मा रूपी ज्योति में
वरदान:- पुराने संस्कार और संसार के रिश्तों की आकर्षण से मुक्त रहने वाले डबल लाइट फरिश्ता भव
फरिश्ता अर्थात् पुराने संसार की आकर्षण से मुक्त, न संबंध रूप में आकर्षण हो, न अपनी
स्लोगन:- शान्ति की शक्ति द्वारा सर्व आत्माओं की पालना करने वाले ही रूहानी सोशल वर्कर हैं।
ज्ञानवान आत्मा चमकीली बन जाती है”
प्रश्न:- माया किन बच्चों को ज़रा भी तंग नहीं कर सकती?
उत्तर:- जो पक्के योगी हैं, जिन्होंने योगबल से अपनी सर्व कर्मेन्द्रियों को शीतल बनाया है,
जो योग में ही रहने की मेहनत करते हैं, उन्हें माया ज़रा भी तंग नहीं कर सकती। जब तुम
पक्के योगी बन जायेंगे तब लायक बनेंगे। लायक बनने के लिए प्योरिटी फर्स्ट है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अब उत्तम पुरूष बनने के लिए याद के बल से आत्मा को पवित्र बनाना है कर्मेन्द्रियों से
कोई भी विकर्म नहीं करना है।
2) ज्ञानवान बन आत्माओं को सुजाग करने की सेवा करनी है। आत्मा रूपी ज्योति में
ज्ञान-योग का घृत डालना है। श्रीमत पर बुद्धि को स्वच्छ बनाना है।
वरदान:- पुराने संस्कार और संसार के रिश्तों की आकर्षण से मुक्त रहने वाले डबल लाइट फरिश्ता भव
फरिश्ता अर्थात् पुराने संसार की आकर्षण से मुक्त, न संबंध रूप में आकर्षण हो, न अपनी
देह वा किसी देहधारी व्यक्ति या कोई वस्तु की तरफ आकर्षण हो, ऐसे ही पुराने संस्कार की
आकर्षण से भी मुक्त - संकल्प, वृत्ति वा वाणी के रूप में कोई संस्कार की आकर्षण न हो।
जब ऐसे सर्व आकर्षणों से अथवा व्यर्थ समय, व्यर्थ संग, व्यर्थ वातावरण से मुक्त बनेंगे
तब कहेंगे डबल लाइट फरिश्ता।
स्लोगन:- शान्ति की शक्ति द्वारा सर्व आत्माओं की पालना करने वाले ही रूहानी सोशल वर्कर हैं।