Thursday, August 7, 2014

Murli-(07-08-2014)-Hindi

मुरली सार:- “मीठे बच्चे - तुम्हारे निज़ी संस्कार पवित्रता के हैं, तुम रावण के संग में 
आकर पतित बनें, अब फिर पावन बन पावन दुनिया का मालिक बनना है” 

प्रश्न:- अशान्ति का कारण और उसका निवारण क्या है? 
उत्तर:- अशान्ति का कारण है अपवित्रता। अब भगवान् बाप से वायदा करो कि हम पवित्र बन 
पवित्र दुनिया बनायेंगे, अपनी सिविल आई रखेंगे, क्रिमिनल नहीं बनेंगे तो अशान्ति दूर हो 
सकती है। तुम शान्ति स्थापन करने के निमित्त बने हुए बच्चे कभी अशान्ति नहीं फैला 
सकते। तुम्हें शान्त रहना है, माया के गुलाम नहीं बनना है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप से पवित्रता की प्रतिज्ञा की है तो अपने को माया के वार से बचाते रहना है। कभी 
माया का गुलाम नहीं बनना है। इस प्रतिज्ञा को भूलना नहीं है क्योंकि अब पावन दुनिया 
में चलना है। 

2) देवता बनने के लिए अवस्था को बहुत-बहुत शान्तचित बनाना है। कोई भी भूत प्रवेश 
होने नहीं देना है। दैवीगुण धारण करने हैं। 

वरदान:- माया की छाया से निकल याद की छत्रछाया में रहने वाले बेफिक्र बादशाह भव 

जो सदा बाप के याद की छत्रछाया के नीचे रहते हैं वो स्वयं को सदा सेफ अनुभव करते हैं। 
माया की छाया से बचने का साधन है बाप की छत्रछाया। छत्रछाया में रहने वाले सदा बेफिक्र 
बादशाह होंगे। अगर कोई फिक्र है तो खुशी गुम हो जाती है। खुशी गुम हुई, कमजोर हुए तो 
माया की छाया का प्रभाव पड़ जाता है क्योंकि कमजोरी ही माया का आह्वान करती है। 
माया की छाया स्वप्न में भी पड़ गई तो बहुत परेशान कर देगी इसलिए सदा छत्रछाया 
के नीचे रहो। 

स्लोगन:- समझ के स्क्रू ड्राइवर से अलबेलेपन के लूज़ स्क्रू को टाइट कर सदा अलर्ट रहो।