मुरली सार:- “मीठे बच्चे - तुम पवित्र बनने के बिगर वापिस जा नहीं सकते इसलिए बाप
प्रश्न:- बाबा तुम बच्चों को घर चलने के पहले कौन-सी बात सिखलाते हैं?
उत्तर:- बच्चे, घर चलने के पहले जीते जी मरना है इसलिए बाबा तुम्हें पहले से ही देह के
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस शरीर रूपी कपड़े से ममत्व निकाल जीते जी मरना है अर्थात् अपने सब पुराने
2) डबल ताजधारी बनने के लिए पढ़ाई की मेहनत करनी है। दैवी गुण धारण करने हैं।
वरदान:- दृढ़ता की शक्ति द्वारा सफलता प्राप्त करने वाले त्रिकालदर्शी आसनधारी भव
दृढ़ता की शक्ति श्रेष्ठ शक्ति है जो अलबेलेपन की शक्ति को सहज परिवर्तन कर देती है।
स्लोगन:- सदा सन्तुष्ट रह सर्व को सन्तुष्ट करने वाले ही सन्तुष्टमणि हैं।
की याद से आत्मा की बैटरी को चार्ज करो और नैचुरल पवित्र बनो।”
प्रश्न:- बाबा तुम बच्चों को घर चलने के पहले कौन-सी बात सिखलाते हैं?
उत्तर:- बच्चे, घर चलने के पहले जीते जी मरना है इसलिए बाबा तुम्हें पहले से ही देह के
भान से परे ले जाने का अभ्यास कराते हैं अर्थात् मरना सिखलाते हैं। ऊपर जाना माना
मरना। जाने और आने का ज्ञान अभी तुम्हें मिला है। तुम जानते हो हम आत्मा ऊपर से
आई हैं, इस शरीर द्वारा पार्ट बजाने। हम असुल वहाँ के रहने वाले हैं, अभी वहाँ ही वापिस
जाना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस शरीर रूपी कपड़े से ममत्व निकाल जीते जी मरना है अर्थात् अपने सब पुराने
हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं।
2) डबल ताजधारी बनने के लिए पढ़ाई की मेहनत करनी है। दैवी गुण धारण करने हैं।
जैसा लक्ष्य है, शुभ बोल है, ऐसा पुरूषार्थ करना है।
वरदान:- दृढ़ता की शक्ति द्वारा सफलता प्राप्त करने वाले त्रिकालदर्शी आसनधारी भव
दृढ़ता की शक्ति श्रेष्ठ शक्ति है जो अलबेलेपन की शक्ति को सहज परिवर्तन कर देती है।
बापदादा का वरदान है - जहाँ दृढ़ता है वहाँ सफलता है ही। सिर्फ जैसा समय, वैसी विधि
से सिद्धि स्वरूप बनो। कोई भी कर्म करने के पहले उसके आदि-मध्य-अन्त को सोच-समझकर
कार्य करो और कराओ अर्थात् त्रिकालदर्शी आसनधारी बनो तो अलबेलापन समाप्त हो
जायेगा। संकल्प रूपी बीज शक्तिशाली दृढ़ता सम्पन्न हो तो वाणी और कर्म में सहज
सफलता है ही।
स्लोगन:- सदा सन्तुष्ट रह सर्व को सन्तुष्ट करने वाले ही सन्तुष्टमणि हैं।