Thursday, August 21, 2014

Murli-(21-08-2014)-Hindi

मुरली सार:- “मीठे बच्चे - बाप ने तुम्हें संगम पर जो स्मृतियाँ दिलाई हैं, उसका 
सिमरण करो तो सदा हर्षित रहेंगे’’ 

प्रश्न:- सदा हल्के रहने की युक्ति क्या है? किस साधन को अपनाओ तो खुशी में रह सकेंगे? 
उत्तर:- सदा हल्का रहने के लिए इस जन्म में जो-जो पाप हुए हैं, वह सब अविनाशी 
सर्जन के आगे रखो। बाकी जन्म-जन्मान्तर के पाप जो सिर पर हैं उसके लिए याद 
की यात्रा में रहो। याद से ही पाप कटेंगे, फिर खुशी रहेगी। बाप की याद से आत्मा 
सतोप्रधान बन जायेगी। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को अच्छी तरह समझ, स्मृति में रख दूसरों को भी 
स्मृति दिलानी है। ज्ञान अंजन देकर अज्ञान अंधेरे को दूर करना है। 

2) ब्रह्मा बाप समान कुर्बान जाने में पूरा फालो करना है। शरीर सहित सब खलास हो 
जाना है इसलिए इससे पहले ही जीते जी मरना है। ताकि अन्त समय में कुछ भी 
याद न आये। 

वरदान:- बाप के प्यार में अपनी मूल कमजोरी कुर्बान करने वाले ज्ञानी तू आत्मा भव 

बापदादा देखते हैं अभी तक पांच ही विकारों के व्यर्थ संकल्प मैजारिटी के चलते हैं। 
ज्ञानी आत्माओं में भी कभी-कभी अपने गुण वा विशेषता का अभिमान आ जाता है, 
हर एक अपनी मूल कमजोरी वा मूल संस्कार को जानता भी है, उस कमजोरी को 
बाप के प्यार में कुर्बान कर देना - यही प्यार का सबूत है। स्नेही वा ज्ञानी तू आत्मायें 
बाप के प्यार में व्यर्थ संकल्पों को भी न्योछावर कर देती हैं। 

स्लोगन:- स्वमान की सीट पर स्थित रह सर्व को सम्मान देने वाले माननीय आत्मा बनो।