मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें किसी भी पतित देहधारियों से प्यार नहीं रखना है क्योंकि तुम
प्रश्न:- तुम बच्चों को किस चीज़ से तंग नहीं होना है और क्यों?
उत्तर:- तुम्हें अपने इस पुराने शरीर से ज़रा भी तंग नहीं होना है क्योंकि यह शरीर बहुत-बहुत
धारणा के लिये मुख्य सार:-
1) सदा ज्ञान रत्न चुगने वाला हंस बनना है, मोती ही चुगने हैं। किचड़ा छोड़ देना है। हर कदम में
2) ऊंच पद पाने के लिए टीचर बनकर बहुतों की सेवा करनी है। कमल फूल समान पवित्र रह
वरदान:- चारों ही सबजेक्ट में बाप के दिलपसन्द मार्क्स लेने वाले दिलतख्तनशीन भव
जो बच्चे चारों ही सबजेक्ट में अच्छे मार्क्स लेते हैं, आदि से अन्त तक अच्छे नम्बर से पास होते
स्लोगन:- दिलरूबा वह है जिसके दिल में सदा यही अनहद गीत बजता रहे कि मैं बाप की, बाप मेरा।
पावन दुनिया में जा रहे हो, एक बाप से प्यार करना है''
प्रश्न:- तुम बच्चों को किस चीज़ से तंग नहीं होना है और क्यों?
उत्तर:- तुम्हें अपने इस पुराने शरीर से ज़रा भी तंग नहीं होना है क्योंकि यह शरीर बहुत-बहुत
वैल्युबुल है। आत्मा इस शरीर में बैठ बाप को याद करके बहुत बड़ी लॉटरी ले रही है। बाप की
याद में रहेंगे तो खुशी की खुराक मिलती रहेगी।
धारणा के लिये मुख्य सार:-
1) सदा ज्ञान रत्न चुगने वाला हंस बनना है, मोती ही चुगने हैं। किचड़ा छोड़ देना है। हर कदम में
पद्मों की कमाई जमा कर पद्मापद्म भाग्यशाली बनना है।
2) ऊंच पद पाने के लिए टीचर बनकर बहुतों की सेवा करनी है। कमल फूल समान पवित्र रह
आपसमान बनाना है। कांटों को फूल बनाना है।
वरदान:- चारों ही सबजेक्ट में बाप के दिलपसन्द मार्क्स लेने वाले दिलतख्तनशीन भव
जो बच्चे चारों ही सबजेक्ट में अच्छे मार्क्स लेते हैं, आदि से अन्त तक अच्छे नम्बर से पास होते
हैं उन्हें ही पास विद आनर कहा जाता है। बीच-बीच में मार्क्स कम हुई फिर मेकप किया ऐसे नहीं,
लेकिन सभी सबजेक्ट में बाप के दिल पसन्द ही दिलतख्तनशीन बनते हैं। साथ-साथ ब्राह्मण संसार
में सर्व के प्यारे, सर्व के सहयोगी, सर्व का सम्मान प्राप्त करने वाले दिल-तख्तनशीन सो राज्य
तख्तनशीन बनते हैं।
स्लोगन:- दिलरूबा वह है जिसके दिल में सदा यही अनहद गीत बजता रहे कि मैं बाप की, बाप मेरा।