Tuesday, September 9, 2014

Murli-(9-09-2014)-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अपनी बैटरी चार्ज करने का ख्याल करो, अपना टाइम परचिंतन 
में वेस्ट मत करो, अपनी घोट तो नशा चढ़े'' 

प्रश्न:- ज्ञान एक सेकेण्ड का होते हुए भी बाप को इतना डिटेल से समझाने वा इतना समय 
देने की आवश्यकता क्यों? 
उत्तर:- क्योंकि ज्ञान देने के बाद बच्चों में सुधार हुआ है या नहीं, यह भी बाप देखते हैं और फिर 
सुधारने के लिए ज्ञान देते ही रहते हैं। सारे बीज और झाड़ का ज्ञान देते हैं, जिस कारण उन्हें 
ज्ञान सागर कहा जाता। अगर एक सेकण्ड का मंत्र देकर चले जाएं तो ज्ञान सागर का टाइटिल 
भी न मिले। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) किसी भी बात के चिंतन में अपना समय नहीं गँवाना है। अपनी मस्ती में रहना है। स्वयं के 
प्रति चिंतन कर आत्मा को सतोप्रधान बनाना है। 

2) नर से नारायण बनने के लिए अन्तकाल में एक बाप की ही याद रहे। इस हाइएस्ट युक्ति को 
सामने रखते हुए पुरूषार्थ करना है-मैं आत्मा हूँ। इस शरीर को भूल जाना है। 

वरदान:- समय प्रमाण हर कार्य में सफल होने वाले ज्ञानी योगी तू आत्मा भव 

ज्ञान का अर्थ है समझ। समझदार उसे कहा जाता है जो समय प्रमाण समझदारी से कार्य 
करते हुए सफलता को प्राप्त करे। समझदार की निशानी है वह कभी धोखा नहीं खा सकते। 
और योगी की निशानी है क्लीन और क्लीयर बुद्धि। जिसकी बुद्धि क्लीन और क्लीयर है वह 
कभी नहीं कहेगा कि पता नहीं ऐसा क्यों हो गया! यह शब्द ज्ञानी और योगी आत्मायें नहीं 
बोल सकती, वे ज्ञान और योग को हर कर्म में लाती हैं। 

स्लोगन:- अचल-अडोल वही रहते जो अपने आदि अनादि संस्कार-स्वभाव को स्मृति में रखते हैं।