Saturday, October 25, 2014

Murli-25/10/2014-Hindi

✿ 25 ~ October ~ 2014 Sakar Hindi Murli ✿ ☆ God's Shivßaßa Word For Today ☆ प्रातःमुरली ओम् शान्ति  “बापदादा”  मधुबन   “मीठे बच्चे - सदा खुशी में रहो तो याद की यात्रा सहज हो जायेंगी, याद से ही 21 जन्मों के लिए पुण्य आत्मा बनेंगे ”                          प्रश्न:-    तुम्हारे सबसे अच्छे सर्वेंट वा गुलाम कौन हैं ? उत्तर:- नैचुरल कैलेमिटीज वा साइंस की इन्वेंशन, जिससे सारे विश्व का किचड़ा साफ होता है । यह तुम्हारे सबसे अच्छे सर्वेंट वा गुलाम हैं जो सफाई में मददगार बनते हैं । सारी प्रकृति तुम्हारे अधिकार में रहती है । ओम् शान्ति | मीठे-मीठे रूहानी बच्चे क्या कर रहे हैं? युद्ध के मैंदान में खड़े हैं । खड़े तो नहीं, तुम तो बैठे हो ना । तुम्हारी सेना कैसी अच्छी है । इनको कहा जाता है रूहानी बाप की रूहानी सेना । रूहानी बाप के साथ योग लगाकर रावण पर जीत पाने का कितना सहज पुरूषार्थ कराते हैं । तुमको कहा जाता है गुप्त वारियर्स, गुप्त महावीर । पांच विकारों पर तुम विजय पाते हो, उसमें भी पहले है देह- अभिमान । बाप विश्व पर जीत पाने वा विश्व में शान्ति स्थापन करने के लिए कितनी सहज युक्ति बताते हैं । तुम बच्चों बिगर और कोई नहीं जानते । तुम विश्व में शान्ति का राज्य स्थापन कर रहे हो । वहाँ अशान्ति, दु :ख, रोग का नाम-निशान नहीं होता । यह पढ़ाई तुमको नई दुनिया का मालिक बनाती है । बाप कहते हैं-मीठे-मीठे बच्चों, काम पर जीत पाने से तुम 21 जन्मों के लिए जगत जीत बनते हो । यह तो बहुत सहज है । तुम हो शिवबाबा की रूहानी सेना । राम की बात नहीं, कृष्ण की भी बात नहीं है । राम कहा जाता है परमपिता परमात्मा को । बाकी वह जो राम की सेना आदि दिखाते हैं, वह सब हैं रांग । गाया भी जाता है ज्ञान सूर्य प्रगटा, अज्ञान अन्धेर विनाश । कलियुग घोर अन्धियारा है । कितना लड़ाई-झगड़ा मारामारी है । सतयुग में यह होती नहीं । तुम अपना राज्य देखो कैसे स्थापन करते हो । कोई भी हाथ पांव इसमें नहीं चलाते हो, इसमें देह का भान तोड़ना है । घर में रहते हो तो भी पहले यह याद करो-हम आत्मा हैं, देह नहीं । तुम आत्मायें ही 84 जन्म भोगती हो । अभी तुम्हारा यह अन्तिम जन्म है । पुरानी दुनिया खत्म होनी है । इसको कहा जाता है पुरूषोत्तम संगमयुग का लीप युग । चोटी छोटी होती है ना । ब्राह्मणों की चोटी मशहूर है । बाप कितना सहज समझाते हैं । तुम हर 5 हजार वर्ष के बाद आकर बाप से यह पढ़ते हो, राजाई प्राप्त करने के लिए । एम ऑब्जेक्ट भी सामने है-शिवबाबा से हमको यह बनना है । हाँ बच्चों, क्यों नहीं । सिर्फ देह- अभिमान छोड़ अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो तो पाप कट जाएं । तुम जानते हो इस जन्म में पावन बनने से हम 21 जन्म पुण्य आत्मा बनते हैं फिर उतराई शुरू होती है । यह भी जानते हो हमारा ही 84 का चक्र है । सारी दुनिया तो नहीं आयेगी । 84 के चक्र वाले और इस धर्म वाले ही आयेंगे । सतयुग और त्रेता बाप ही स्थापन करते हैं, जो अब कर रहे हैं फिर द्वापर-कलियुग रावण की स्थापना है । रावण का चित्र भी है ना । ऊपर में गधे का शीश है । विकारी टट्टू बन जाते हैं । तुम समझते भी हो-हम क्या थे! यह है ही पाप आत्माओं की दुनिया । पाप आत्माओं की दुनिया में करोड़ों आदमी हैं । पुण्य आत्माओं की दुनिया में होते हैं 9 लाख शुरू में । तुम अभी सारे विश्व के मालिक बनते हो । यह लक्ष्मी-नारायण विश्व के मालिक थे ना । स्वर्ग की बादशाही तो जरूर बाप ही देंगे । बाप कहते हैं मैं तुमको विश्व की बादशाही देने आया हूँ । अब पावन जरूर बनना पड़े । सो भी यह अन्तिम जन्म मृत्युलोक का पवित्र बनो । इस पुरानी दुनिया का विनाश सामने तैयार है । बामब्स आदि सब ऐसे तैयार कर रहे हैं जो वहॉ घर बैठे खलास कर देंगे । कहते भी हैं घर बैठे पुरानी दुनिया का विनाश कर देंगे । यह बाम्ब्स आदि घर बैठे ऐसे छोड़ेंगे जो सारी दुनिया को खत्म करेंगे । तुम बच्चे घर बैठे योगबल से विश्व के मालिक बन जाते हो । तुम शान्ति स्थापन कर रहे हो योगबल से । वह साइंस बल से सारी दुनिया खलास कर देंगे । वह तुम्हारे सर्वेंट हैं । तुम्हारी सर्विस कर रहे हैं । पुरानी दुनिया खत्म कर देते हैं । नैचुरल कैलेमिटीज आदि यह सब तुम्हारे गुलाम बनते हैं । सारी प्रकृति तुम्हारी गुलाम बन जाती है । सिर्फ तुम बाप से योग लगाते हो । तो तुम बच्चों के अन्दर में बड़ी खुशी होनी चाहिए । ऐसे बिलवेड बाप को कितना याद करना चाहिए । यही भारत पूरा शिवालय था । सतयुग में सम्पूर्ण निर्विकारी यहाँ हैं विकारी । अभी तुमको स्मृति आई है-बरोबर बाप ने हमें कहा है हियर नो ईविल... गन्दी बातें मत सुनो । मुख से बोलो भी नहीं । बाप समझाते हैं तुम कितने डर्टी बन गये हो । तुम्हारे पास तो अथाह धन था । तुम स्वर्ग के मालिक थे । अभी तुम स्वर्ग के बदले नर्क के मालिक बन पड़े हो । यह भी ड्रामा बना हुआ है । हर 5 हजार वर्ष बाद तुम बच्चों को हम रौरव नर्क से निकाल स्वर्ग में ले जाता हूँ । रूहानी बच्चे क्या तुम मेरी बात नहीं मानेंगे? परमात्मा कहते हैं तुम पवित्र दुनिया का मालिक बनो तो क्या नहीं बनेंगे? विनाश तो जरूर होगा । इस योगबल से ही तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के पाप कटेंगे । बाकी जन्म-जन्मान्तर के पाप कटने में टाइम लगता है । बच्चे शुरू से आये हुए हैं, 10 परसेंट भी योग नहीं लगता है इसलिए पाप कटते नहीं हैं । नये-नये बच्चे झट योगी बन जाते हैं तो पाप कट जाते हैं और सर्विस करने लग पड़ते हैं । तुम बच्चे समझते हो अब हमको वापिस जाना है । बाप आया हुआ है ले जाने । पाप- आत्मायें तो शान्तिधाम-सुखधाम में जा न सके । वह तो रहती हैं दु :खधाम में इसलिए अब बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम्हारे पाप भस्म हो जाएं । अरे बच्चे गुल-गुल (फूल) बन जाओ । दैवी कुल को कलंक नहीं लगाओ । तुम विकारी बनने के कारण कितने दुःखी हो गये हो । यह भी ड्रामा का खेल बना हुआ है । पवित्र नहीं बनेंगे तो पवित्र दुनिया स्वर्ग में नहीं आयेंगे । भारत स्वर्ग था, कृष्णपुरी में था, अभी नर्कवासी है । तो तुम बच्चों को तो खुशी से विकारों को छोड़ना चाहिए । विष पीना फट से छोड़ना है । विष पीते-पीते तुम वैकुण्ठ में थोड़ेही जा सकेंगे । अभी यह बनने के लिए तुमको पवित्र बनना है । तुम समझा सकते हो-इन्होंने यह राजाई कैसे प्राप्त की है? राजयोग से । यह पढ़ाई है ना । जैसे बैरिस्टरी योग, सर्जन योग होता है । सर्जन से योग तो सर्जन बनेंगे । यह फिर है भगवानुवाच । रथ में कैसे प्रवेश करते हैं? कहते हैं बहुत जन्मों के अन्त में मैं इनमें बैठ तुम बच्चों को नॉलेज देता हूँ । जानता हूँ यह विश्व के मालिक पवित्र थे । अब पतित कंगाल बने हैं फिर पहले नम्बर में यह जायेंगे । इसमें ही प्रवेश कर तुम बच्चों को नॉलेज देते हैं । बेहद का बाप कहते हैं-बच्चे, पवित्र बनो तो तुम सदा सुखी बनेंगे । सतयुग है अमरलोक, द्वापर कलियुग है मृत्युलोक । कितना अच्छी रीति बच्चों को समझाते हैं । यहाँ देही- अभिमानी बनते हैं फिर देह- अभिमान में आकर माया से हार खा लेते हैं । माया की एक ही तोप ऐसी लगती है जो एकदम गटर में गिर पड़ते हैं । बाप कहते हैं यह गटर है । यह कोई सुख थोड़ेही है । स्वर्ग तो फिर क्या! इन देवताओं की रहनी-करनी देखो कैसी है । नाम ही है स्वर्ग । तुमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं फिर भी कहते हैं हम विष जरूर पियेंगे! तो स्वर्ग में आ नहीं सकेंगे । सजा भी बहुत खायेंगे । तुम बच्चों की माया से युद्ध है । देह- अभिमान में आकर बहुत छी-छी काम करते हैं । समझते हैं हमको कोई देखता थोड़ेही है । क्रोध-लोभ तो प्राइवेट नहीं होता । काम में प्राइवेसी चलती है । काला मुँह करते हैं । काला मुँह करते-करते तुम गोरे से सांवरे बन गये तो सारी दुनिया तुम्हारे पिछाड़ी आ गई । ऐसी पतित दुनिया को बदलना जरूर है । बाप कहते हैं-तुमको शर्म नहीं आती है, एक जन्म के लिए पवित्र नहीं बनते हो । भगवानुवाच - काम महाशत्रु है । वास्तव में तुम स्वर्गवासी थे तो बड़े धनवान थे । बात मत पूछो । बच्चे कहते हैं बाबा हमारे शहर में चलो । क्या काँटों के जंगल में बन्दरों को देखने चलूँ! तुम बच्चों को ड्रामा अनुसार सर्विस करनी ही है । गाया जाता है फादर शोज़ सन । बच्चों को ही जाकर सबका कल्याण करना है । बाप बच्चों को समझाते हैं-यह भूलो मत - हम युद्ध के मैंदान में हैं । तुम्हारी युद्ध हैं 5 विकारों से । यह ज्ञान मार्ग बिल्कुल अलग है । बाप कहते हैं मैं तुमको स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ 21 जन्मों के लिए, फिर तुमको नर्कवासी कौन बनाते हैं? रावण । फर्क तो देखते हो ना । जन्म-जन्मान्तर तुमने भक्ति मार्ग में गुरू कियें, मिला कुछ भी नहीं । इनको कहा जाता है सतगुरू । सिक्ख लोग कहते हैं ना-सतगुरू अकाल मूर्त । उनको कभी कोई काल खाता नहीं । वह सतगुरू तो कालों का काल है । बाप कहते हैं मैं तुम सब बच्चों को काल के पंजे से छुड़ाने आया हूँ । सतयुग में फिर काल आता ही नहीं है, उनको अमरलोक कहा जाता है । अभी तुम श्रीमत पर अमरलोक सतयुग के मालिक बन रहे हो । तुम्हारी लड़ाई देखो कैसी है । सारी दुनिया एक-दो में लड़ती-झगडती रहती है । तुम्हारी फिर है रावण 5 विकारों के साथ युद्ध । उन पर जीत पाते हो । यह है अन्तिम जन्म । बाप कहते हैं मैं गरीब निवाज हूँ । यहाँ आते ही गरीब हैं । साहूकारों की तो तकदीर में ही नहीं है । धन के नशे में ही मगरूर रहते हैं । यह सब खत्म हो जाने वाला है । बाकी थोड़ा समय है । ड्रामा का प्लैन है ना । यह इतने बाम्बस आदि बनाये हैं, वह काम में जरूर लाने हैं । पहले तो लड़ाई बाणों से, तलवारों से, बन्दूको आदि से चलती थी । अभी तो बाम्ब्स ऐसी चीज़ निकली है जो घर बैठे ही खलास कर देंगे । यह चीज़ें कोई रखने के लिए थोड़ेही बनाई हैं । कहाँ तक रखेंगे । बाप आयें हैं तो विनाश भी जरूर होना है । ड्रामा का चक्र फिरता रहता है, तुम्हारी राजाई जरूर स्थापन होनी है । यह लक्ष्मी-नारायण लड़ाई नहीं करते हैं । भल शास्त्रों में दिखाया है- असुरों और देवताओं की लड़ाई हुई परन्तु वह सतयुग के, वह असुर कलियुग के । दोनों मिलेंगे कैसे जो लड़ाई होगी । अभी तुम समझते हो हम 5 विकारों से युद्ध कर रहे हैं । इन पर जीत पाकर सम्पूर्ण निर्विकारी बन निर्विकारी दुनिया के मालिक बन जायेंगे । उठते-बैठते बाप को याद करना है । दैवीगुण धारण करने हैं । यह बना-बनाया ड्रामा है । कोई-कोई के नसीब में ही नहीं है । योगबल हो तब ही विकर्म विनाश हों । सम्पूर्ण बने तब तो सम्पूर्ण दुनिया में आ सके । बाप भी शंख ध्वनि करते रहते हैं । उन्होंने फिर भक्ति मार्ग में शंख व तुतारी आदि बैठ बनाई है । बाप तो इस मुख द्वारा समझाते हैं । यह पढ़ाई है राजयोग की । बहुत सहज पढ़ाई है । बाप को याद करो और राजाई को याद करो । बेहद के बाप को पहचानो और राजाई लो । इस दुनिया को भूल जाओ । तुम बेहद के सन्यासी हो । जानते हो पुरानी दुनिया सारी खत्म होनी है । इन लक्ष्मी-नारायण के राज्य में सिर्फ भारत ही था । अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमोर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।   धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. अपने दैवी कुल को कलंक नहीं लगाना है । गुल-गुल बनना है । अनेक आत्माओं के कल्याण की सर्विस कर बाप का शो करना है ।   2. सम्पूर्ण निर्विकारी बनने के लिए गंदी बातें न तो सुननी है, न मुख से बोलनी है । हियर नो ईविल, टॉक नो ईविल.... देह- अभिमान के वश हो कोई छी-छी काम नहीं करने हैं ।   वरदान:- दृढ़ संकल्प की तीली से आत्मिक बाम्ब की आतिशबाजी जलाने वाले सदा विजयी भव !   आजकल आतिशबाजी में बाम्ब बनाते हैं लेकिन आप दृढ़ संकल्प की तीली से आत्मिक बाम्ब की आतिशबाजी जलाओ जिससे पुराना सब समाप्त हो जाए । वह लोग तो आतिशबाजी में पैसा गवायेंगे और आप कमायेंगे । वह आतिशबाजी है और आपकी उड़ती कला की बाजी है । इसमें आप विजयी बन जाते हो । तो डबल फायदा लो, जलाओ भी, कमाओ भी - यह विधि अपनाओ ।   स्लोगन:-  किसी विशेष कार्य में मददगार बनना ही दुआओं की लिपट लेना है ।   * * * ओम् शान्ति * * *