Friday, November 14, 2014

Murli-15/11/2014-Hindi

सार:-    “मीठे बच्चे - तुम हो त्रिमूर्ति बाप के बच्चे, तुम्हें अपने तीन कर्तव्य याद रहें - स्थापना, विनाश और पालना” प्रश्न:-  देह- अभिमान की कड़ी बीमारी लगने से कौन-कौन से नुकसान होते हैं? उत्तर:- 1 देह- अभिमान वालों के अन्दर जैलसी होती है, जैलसी के कारण आपस में लून-पानी होते रहते, प्यार से सेवा नहीं कर सकते हैं । अन्दर ही अन्दर जलते रहते हैं । 2 बेपरवाह रहते हैं । माया उन्हें बहुत धोखा देती रहती है । पुरूषार्थ करते-करते फाँ हो जाते हैं, जिस कारण पढ़ाई ही छूट जाती है । 3 देह-अभिमान के कारण दिल साफ नहीं, दिल साफ न होने कारण बाप की दिल पर नहीं चढ़ते । 4 मूड ऑफ कर देते । उनका चेहरा ही बदल जाता है । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. मौलाई मस्ती में रहकर स्वयं को स्वतन्त्र बनाना है । किसी भी बन्धन में नहीं बंधना है । माया चूही से बहुत-बहुत सम्भाल करनी है, खबरदार रहना है । दिल में कभी भी शैतानी ख्याल न आये । 2. बाप द्वारा जो बेशुमार धन (ज्ञान का) मिलता है, उसकी खुशी में रहना है । इस कमाई में कभी भी संशयबुद्धि बन थकना नहीं है । स्टूडेंट लाइफ दी बेस्ट लाइफ है इसलिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है । वरदान:- व्यर्थ संकल्प रूपी पिल्लर्स को आधार बनाने के बजाये सर्व सम्बन्ध के अनुभव को बढ़ाने वाले सच्चे स्नेही भव ! माया कमजोर संकल्प को मजबूत बनाने के लिए बहुत रॉयल पिल्लर्स लगाती है, बार-बार यही संकल्प देती है कि ऐसा तो होता ही है, बड़े-बड़े भी ऐसा करते हैं, अभी सम्पूर्ण तो हुए नहीं हैं, जरूर कोई न कोई कमजोरी तो रहेगी ही यह व्यर्थ संकल्प रूपी पिल्लर्स कमजोरी को और मजबूत कर देते हैं । अब ऐसे पिल्लर्स का आधार लेने के बजाए सर्व सम्बन्धों के अनुभव को बढ़ाओ । साकार रूप में साथ का अनुभव करते सच्चे स्नेही बनो । स्लोगन:-  सन्तुष्टता सबसे बड़ा गुण है, जो सदा सन्तुष्ट रहते हैं वही प्रभु प्रिय, लोक प्रिय व स्वयं प्रिय बनते हैं । ___________________________