Tuesday, November 18, 2014

Murli-19/11/2014-Hindi

सार:- “मीठे बच्चे - सन शोज़ फादर, मनमत को छोड़ श्रीमत पर चलो तब बाप का शो कर सकेंगे”     प्रश्न:-   किन बच्चों की रक्षा बाप जरूर करते ही हैं? उत्तर:- जो बच्चे सच्चे हैं, उनकी रक्षा जरूर होती है । अगर रक्षा नहीं होती है तो अन्दर में जरूर कोई न कोई झूठ होगा । पढ़ाई मिस करना, संशय में आना माना अन्दर में कुछ न कुछ झूठ है । उन्हें माया अंगूरी मार देती है । प्रश्न:-    किन बच्चों के लिए माया चुम्बक है? उत्तर:- जो माया की खूबसूरती की तरफ आकर्षित हो जाते हैं, उन्हों के लिए माया चुम्बक है । श्रीमत पर चलने वाले बच्चे आकर्षित नहीं होंगे । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. हमें पढ़ाने वाला स्वयं ज्ञान का सागर, बेहद का बाप है, इसमें कभी संशय नहीं लाना है, झूठ कपट छोड़ अपना सच्चा-सच्चा चार्ट रखना है | देह- अभिमान में आकर कभी ट्रेटर नहीं बनना है । 2. ड्रामा को बुद्धि में रख बाप समान बहुत-बहुत मीठा मुलायम (नम्र) बनकर रहना है । अपना अहंकार नहीं दिखाना है । अपनी मत छोड़ एक बाप की श्रेष्ठ मत पर चलना है । वरदान:- सर्व के प्रति अपनी दृष्टि और भावना प्यार की रखने वाले सर्व के प्यारे फरिश्ता भव स्वप्न में भी किसी के पास फरिश्ता आता है तो कितना खुश होते हैं । फरिश्ता अर्थात् सर्व के प्यारे । हद के प्यारे नहीं, बेहद के प्यारे । जो प्यार करे उसके प्यारे नहीं लेकिन सर्व के प्यारे । कोई कैसी भी आत्मा हो लेकिन आपकी दृष्टि, आपकी भावना प्यार की हो - इसको कहा जाता है सर्व के प्यारे । कोई इनसल्ट करे, घृणा करे तो भी उसके प्रति प्यार वा कल्याण की भावना उत्पन्न हो क्योंकि उस समय वह परवश है । स्लोगन:-  जो सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न हैं वही सदा हर्षित, सदा सुखी और खुशनसीब हैं । OM SHANTI