Thursday, November 20, 2014

Murli-21/11/2014-Hindi

21-11-14 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे - संगमयुग तकदीरवान बनने का युग है, इसमें तुम जितना चाहो उतना अपने भाग्य का सितारा चमका सकते हो” प्रश्न:- अपने पुरूषार्थ को तीव करने का सहज साधन क्या है? उत्तर:- फालो फादर करते चलो तो पुरूषार्थ तीव्र हो जायेगा । बाप को ही देखो, मदर तो गुप्त है । फालो फादर करने से बाप समान ऊंच बनेंगे इसलिए एक्यूरेट फालो करते रहो । प्रश्न:- बाप किन बच्चों को बुद्ध समझते हैं? उत्तर:- जिन्हें बाप के मिलने की भी खुशी नहीं - वह बुद्धू हुए ना । ऐसा बाप जो विश्व का मालिक बनाता,उसका बच्चा बनने के बाद भी खुशी न रहे तो बुढ़ ही कहेंगे ना । ओम् शान्ति | अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. सुखधाम के वर्से का पूरा अधिकार लेने के लिए संगम पर रूहानी जादूगर बन बाप को भी अपना बच्चा बना लेना है । पूरा-पूरा बलिहार जाना है । 2. स्वदर्शन चक्रधारी बन स्वयं को लकी सितारा बनाना है । विहंग मार्ग की सर्विस के निमित्त बन ऊंच पद लेना है । गांव-गांव में सर्वनी है । साथ-साथ याद का चार्ट भी जरूर रखना है । वरदान:- सर्व प्राप्तियों को स्मृति में इमर्ज रख सदा सम्पन्न रहने वाली सन्तुष्ट आत्मा भव ! संगमयुग पर बापदादा द्वारा जो भी प्राप्तियां हुई हैं उनकी स्मृति इमर्ज रूप में रहे । तो प्राप्तियों की खुशी कभी नीचे हलचल में नहीं लायेगी । सदा अचल रहेंगे । सम्पन्नता अचल बनाती है, हलचल से छुड़ा देती है । जो सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न हैं वे सदा राज़ी, सदा सन्तुष्ट रहते हैं । सन्तुष्टता सबसे बड़ा खजाना है । जिसके पास सन्तुष्टता है उसके पास सब कुछ है । वह यही गीत गाते रहते कि पाना था वो पा लिया । स्लोगन:- मुहब्बत के झूले में बैठ जाओ तो मेहनत आपेही छूट जायेगी । ओम् शान्ति | 🍥🍥🍥🍥🍥🍥