Saturday, November 22, 2014

Murli-23/11/2014-Hindi

23-11-14 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त बापदादा” रिवाइज 06-01-79 मधुबन “सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी, आत्माओं के प्रैक्टिकल जीवन की धारणाओं के चिन्ह” सर्व सम्बन्धों का रस एक बाप से लेने वाले ही नष्टोमोहा: बाप को सर्व सम्बन्धों से अपना बना लिया है? सिर्फ बाप के सम्बन्ध से नहीं लेकिन सर्व सम्बन्ध बाप के साथ हो गये, अपना बनाना अर्थात् बाप का खुद बनना । तो सर्व सम्बन्ध से एक बाप दूसरा न कोई, जिसके सर्व सम्बन्ध बाप के साथ हो गये उसका विशेष गुण क्या दिखाई देगा? वह सदा निर्मोही होगा । जब किसी तरफ लगाव अर्थात् झुकाव नहीं तो माया से हार हो नहीं सकती । ऐसे नष्टोमोहा बनना अर्थात् सदा स्मृति स्वरूप । सदैव अमृतवेले यह स्मृति में लाओ कि सर्व सम्बन्धों का सुख हर रोज बाप दादा से लेकर औरों को भी दान देंगे । हर सम्बन्ध का सुख लो । सर्व सुखों के अधिकारी बन औरों को भी बनाओ । ऐसे अधिकारी समझने वाले सदा बाप को अपना साथी बनाकर चलते हैं । जो भी काम हो तो साकार साथी न याद आवे पहले बाप याद आवे । सच्चा मित्र भी तो बाप है ना, ऐसे सच्चे साथी का साथ लो तो सहज ही सर्व से न्यारा और प्यारा बन जायेंगे । एक बाप से लगन है तो नष्टोमोहा हैं । वरदान:- किसी भी परिस्थिति में फुलस्टॉप लगाकर स्वयं को परिवर्तन करने वाले सर्व की दुआओं के पात्र भव! किसी भी परिस्थिति में फुलस्टाप तब लगा सकते हैं जब बिन्दु स्वरूप बाप और बिन्दू स्वरूप आत्मा दोनों की स्मृति हो । कन्ट्रोलिंग पावर हो । जो बच्चे किसी भी परिस्थिति में स्वयं को परिवर्तन कर फुलस्टॉप लगाने में स्वयं को पहले आफर करते हैं, वह दुआओं के पात्र बन जाते हैं । उन्हे स्वयं को स्वयं भी दुआयें अर्थात् खुशी मिलती है, बाप द्वारा और ब्राह्मण परिवार द्वारा भी दुआयें मिलती हैं । स्लोगन:- जो संकल्प करते हो उसे बीच-बीच में दृढ़ता का ठप्पा लगाओ तो विजयी बन जायेंगे । 