है भण्डारा भरपूर काल कंटक दूर''
प्रश्न:- ज्ञानवान बच्चों की बुद्धि में किस एक बात का निश्चय पक्का होगा?
उत्तर:- उन्हें दृढ़ निश्चय होगा कि हमारा जो पार्ट है वह कभी घिसता-मिटता नहीं।
मुझ आत्मा में 84 जन्मों का अविनाशी पार्ट नूँधा हुआ है, यही बुद्धि में ज्ञान है
तो ज्ञानवान है। नहीं तो सारा ज्ञान बुद्धि से उड़ जाता है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप से जो अविनाशी ज्ञान रत्नों का अखुट खजाना मिल रहा है-उसे स्मृति में रख
बुद्धि को बेहद में ले जाना है। इस बेहद नाटक में कैसे आत्मायें अपने-अपने तख्त
पर विराजमान हैं-इस कुदरत को साक्षी हो देखना है।
2) सदा बुद्धि में याद रहे कि हम संगमयुगी ब्राह्मण हैं, हमें बाप की श्रेष्ठ गोद मिली है।
हम रावण की गोद में जा नहीं सकते। हमारा कर्तव्य है-डूबने वालों को भी बचाना।
वरदान:- अपने टाइटल की स्मृति के साथ समर्थ स्थिति बनाने वाले स्वमानधारी भव
संगमयुग पर स्वयं बाप अपने बच्चों को श्रेष्ठ टाइटल देते हैं, तो उसी रूहानी नशे में रहो।
जैसा टाइटल याद आये वैसी समर्थ स्थिति बनती जाये। जैसे आपका टाइटल है स्वदर्शन
चक्रधारी तो यह स्मृति आते ही परदर्शन समाप्त हो जाए, स्वदर्शन के आगे माया का गला
कट जाए। महावीर हूँ, यह टाइटल याद आये तो स्थिति अचल-अडोल बन जाए। तो टाइटल
की स्मृति के साथ समर्थ स्थिति बनाओ तब कहेंगे श्रेष्ठ स्वमानधारी।
स्लोगन:- भटकती हुई आत्माओं की चाहना पूर्ण करने के लिए परखने की शक्ति को बढ़ाओ।