Wednesday, November 26, 2014

Murli-27/11/2014-Hindi

  प्रातः मुरली         ओम् शान्ति        “बापदादा”          मधुबन

“मीठे बच्चे - तुम यह राजयोग की पढ़ाई पढ़ते हो राजाई के लिए, यह हैं तुम्हारी नई पढ़ाई”  
प्रश्न:-   
इस पढ़ाई में कई बच्चे चलते-चलते फेल क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:-
क्योंकि इस पढ़ाई में माया के साथ बॉक्सिंग है । माया की बॉक्सिंग में बुद्धि को बहुत कड़ी चोट लग जाती है । चोट लगने का कारण बाप से सच्चे नहीं है । सच्चे बच्चे सदा सेफ रहते हैं ।

ओम् शान्ति |
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. बहुत-बहुत आज्ञाकारी, मीठा होकर चलना है । देह- अहंकार में नहीं आना है । बाप का बच्चा बनकर फिर कोई भी भूल नहीं करनी है । माया की बॉक्सिंग में बहुत-बहुत खबरदार रहना है ।
2. अपने वचनों (वाक्यों) में ताकत भरने के लिए आत्म- अभिमानी रहने का अभ्यास करना है । स्मृति रहे-बाप का सिखलाया हुआ हम सुना रहे हैं तो उसमें जौहर भरेगा ।

वरदान:-
सदा अलर्ट रह सर्व की आशाओं को पूर्ण करने वाले मास्टर मुक्ति-जीवनमुक्ति दाता भव !  
अब सभी बच्चों में यह शुभ संकल्प इमर्ज होना चाहिए कि सर्व की आशाओं को पूर्ण करें । सबकी इच्छा है कि जन्म-मरण से मुक्त हो जायें, तो उसका अनुभव कराओ । इसके लिए अपने शक्तिशाली सतोप्रधान वायब्रेशन से प्रकृति और मनुष्यात्माओं की वृत्तियों को चेंज करो । मास्टर दाता बन हर आत्मा की आशाओं को पूर्ण करो । मुक्ति, जीवनमुक्ति का दान दो । यह जिम्मेवारी की स्मृति आपको सदा अलर्ट बना देगी ।

स्लोगन:-
मुरलीधर की मुरली पर देह की भी सुध-बुध भूलने वाले ही सच्चे गोप गोपियां हैं ।