Monday, November 3, 2014

Murli-3/11/2014-Hindi

मीठे बच्चे - सभी को पहले-पहले अल्फ का पाठ पक्का कराओ, आप आत्मा भाई-भाई हैं'' प्रश्न:- किस एक बात में श्रीमत, मनुष्य मत के बिल्कुल ही विपरीत है? उत्तर:- मनुष्य मत कहती है हम मोक्ष में चले जायेंगे। श्रीमत कहती है यह ड्रामा अनादि अविनाशी है। मोक्ष किसी को मिल नहीं सकता। भल कोई कहे यह पार्ट बजाना हमको पसन्द नहीं। परन्तु इसमें कुछ भी कर नहीं सकते। पार्ट बजाने आना ही है। श्रीमत ही तुम्हें श्रेष्ठ बनाती है। मनुष्य मत तो अनेक प्रकार की है। धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) बुद्धि में सदा याद रहे कि अभी हम थोड़े समय के लिए संगमयुग में बैठे हैं, पुरानी दुनिया विनाश होगी तो हम नई दुनिया में ट्रान्सफर हो जायेंगे इसलिए इससे बुद्धियोग निकाल देना है। 2) सभी आत्माओं को बाप का परिचय दे कर्म, अकर्म, विकर्म की गुह्य गति सुनानी है, पहले अल्फ का ही पाठ पक्का कराना है। वरदान:- सर्व खजानों से सम्पन्न बन निरन्तर सेवा करने वाले अखुट, अखण्ड महादानी भव बापदादा ने संगमयुग पर सभी बच्चों को ``अटल-अखण्ड'' का वरदान दिया है। जो इस वरदान को जीवन में धारण कर अखण्ड महादानी अर्थात् निरन्तर सहज सेवाधारी बनते हैं वह नम्बरवन बन जाते हैं। द्वापर से भक्त आत्मायें भी दानी बनती हैं लेकिन अखुट खजानों के दानी नहीं बन सकती। विनाशी खजाने या वस्तु के दानी बनते हैं, लेकिन आप दाता के बच्चे जो सर्व खजानों से सम्पन्न हो वह एक सेकण्ड भी दान देने के बिना रह नहीं सकते। स्लोगन:- अन्दर की सच्चाई सफाई प्रत्यक्ष तब होती है जब स्वभाव में सरलता हो।