Friday, November 7, 2014
Murli-7/11/2014-Hindi
07-11-14 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे बच्चे - "बाप आये हैं तुम्हें रूहानी हुनर सिखलाने, जिस हुनर से तुम सूर्य-चांद से भी पार शान्तिधाम में जाते हो"
प्रश्न:-
साइन्स घमण्ड और साइलेन्स घमण्ड में कौन-सा अन्तर है?
उत्तर:-
साइन्स घमण्डी चांद सितारों पर जाने के लिए कितना खर्चा करते हैं । शरीर का जोखिम उठाकर जाते हैं । उन्हें यह डर रहता है कि रॉकेट कहाँ फेल न हो जाए । तुम बच्चे साइलेन्स घमण्ड वाले बिगर कौड़ी खर्चा सूर्य-चांद से भी पार मूलवतन में चले जाते हो । तुम्हें कोई डर नहीं क्योंकि तुम शरीर को यहाँ ही छोड़कर जाते हो ।
ओम् शान्ति |
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. बाप से साइलेन्स का हुनर सीखकर इस हद की दुनिया से पार बेहद में जाना है । फखुर (नशा) रहे बाप हमें कितना वन्डरफुल ज्ञान देकर, कितनी बड़ी प्राइज देते हैं ।
2. बेधड़क होकर बहुत रसीले ढंग से सेवा करनी है । माया की लड़ाई में बलवान बन जीत पानी है । मुरली सुनकर सुजाग रहना है और सबको सुजाग करना है |
वरदान:-
इस कल्याणकारी युग में सर्व का कल्याण करने वाले प्रकृतिजीत मायाजीत भव !
संगमयुग को कल्याणकारी युग कहा जाता है इस युग में सदा ये स्वमान याद रहे कि मैं कल्याणकारी आत्मा हूँ, मेरा कर्तव्य है पहले स्व का कल्याण करना फिर सर्व का कल्याण करना । मनुष्यात्मायें तो क्या हम प्रकृति का भी कल्याण करने वाले हैं इसलिए प्रकृतिजीत, मायाजीत कहलाते हैं । जब आत्मा पुरुष प्रकृतिजीत बन जाती है, तो प्रकृति भी सुखदाई बन जाती है । प्रकृति वा माया की हलचल में आ नहीं सकते । उन्हों पर अकल्याण के वायुमण्डल का प्रभाव पड़ नहीं सकता ।
स्लोगन:-
एक दूसरे के विचारों को सम्मान दो तो माननीय आत्मा बन जायेंगे |
ओम् शान्ति |
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