Friday, November 7, 2014
Murli-8/11/2014-Hindi
प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन
मीठे बच्चे - “बाप है अविनाशी वैद्य, जो एक ही महामंत्र से तुम्हारे सब दु :ख दूर कर देता है"
प्रश्न:-
माया तुम्हारे बीच में विघ्न क्यों डालती है? कोई कारण बताओ?
उत्तर:-
1. क्योंकि तुम माया के बड़े ते बड़े ग्राहक हो । उसकी ग्राहकी खत्म होती है इसलिए विघ्न डालती है । 2. जब अविनाशी वैद्य तुम्हें दवा देता है तो माया की बीमारी उथलती है इसलिए विघ्नों से डरना नहीं है । मनमनाभव के मन्त्र से माया भाग जायेगी ।
ओम् शान्ति |
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. अपनी अवस्था को सदा एकरस और हर्षितमुख रखने के लिए बाप, टीचर और सतगुरू तीनों को याद करना है । यहाँ से ही खुशी के संस्कार भरने हैं । वर्से की स्मृति से चेहरा सदा चमकता रहे |
2. श्रीमत पर चलकर सारे विश्व को चेन्ज करने की सेवा करनी है । 5 विकारों में जो फँसे हैं, उन्हे निकालना है । अपने स्वधर्म की पहचान देनी है |
वरदान:-
स्मृति को अनुभव की स्थिति में स्थित करने वाले नम्बरवन विशेष आत्मा भव !
सभी ब्राह्मण आत्माओं के अन्दर संकल्प रहता है कि हम विशेष आत्मा नम्बरवन बनें लेकिन संकल्प और कर्म के अन्तर को समाप्त करने के लिए स्मृति को अनुभव में लाना है । जैसे सुनना, जानना याद रहता है ऐसे स्वयं को उस अनुभव की स्थिति में लाना है इसके लिए स्वयं के और समय के महत्व को जान मन और बुद्धि को किसी भी अनुभव की सीट पर सेट कर लो तो नम्बरवन विशेष आत्मा बन जायेंगे ।
स्लोगन:-
बुराई की रीस को छोड़ अच्छाई की रेस करो |
ओम् शान्ति |