सार:- “मीठे बच्चे - तुम बाप के पास आये हो अपना
सौभाग्य बनाने, परम सौभाग्य उन बच्चों का है – जिनका ईश्वर सब-कुछ स्वीकार करता है”
प्रश्न:- बच्चों की किस एक भूल से माया बहुत बलवान बन जाती है?
उत्तर:- बच्चे भोजन के समय बाबा को भूल जाते हैं, बाबा को न खिलाने से माया भोजन खा जाती, जिससे वह बलवान बन जाती है, फिर बच्चों को ही हैरान करती है । यह छोटी-सी भूल माया से हार खिला देती है इसलिए बाप की आज्ञा है-बच्चे, याद में खाओ । पक्का प्रण करो-तुम्हीं से खाऊँ.... जब याद करेंगे तब वह राजी होगा ।
गीत:- आज नहीं तो कल बिखरेंगे यह बादल...
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. श्रीमत को नोट कर पुरूषार्थ करना है । बाप ने जो कर्म
करके सिखाया है, वही
करने हैं । विचार सागर मंथन कर ज्ञान की प्याइंटस निकालनी हैं ।
2. अपने आपसे प्रण करना है कि हम बाप की याद में ही भोजन
खायेंगे । तुम्हीं से बैठूं, तुम्हीं से खाऊं, यह वायदा पक्का निभाना है ।
वरदान:-
श्रेष्ठ प्राप्तियों के प्रत्यक्षफल द्वारा सदा खुशहाल रहने वाले एवरहेल्दी भव !
संगमयुग पर अभी- अभी किया और अभी- अभी श्रेष्ठ प्राप्ति की
अनुभति हुई - यही है प्रत्यक्षफल । सबसे श्रेष्ठ फल है समीपता का अनुभव होना ।
आजकल साकार दुनिया में कहते हैं कि फल खाओ तो तन्दरूस्त रहेंगे । हेल्दी रहने का
साधन फल बताते हैं और आप बच्चे हर सेकण्ड प्रत्यक्षफल खाते ही रहते हो इसलिए
एवरहेल्दी हो ही । यदि आपसे कोई पूछे कि आपका क्या हालचाल है, तो बोलो कि फरिश्तों की चाल है और
खुशहाल है ।
स्लोगन:- सर्व की दुआओं के खजाने से सम्पन्न बनो
तो पुरुषार्थ में मेहनत नहीं करनी पड़ेगी ।