Monday, December 1, 2014

Murli-1/12/2014-Hindi


सार:- “मीठे बच्चे - तुम बाप के पास आये हो अपना सौभाग्य बनाने, परम सौभाग्य उन बच्चों का है जिनका ईश्वर सब-कुछ स्वीकार करता है    

प्रश्न:-   बच्चों की किस एक भूल से माया बहुत बलवान बन जाती है?

उत्तर:- बच्चे भोजन के समय बाबा को भूल जाते हैं, बाबा को न खिलाने से माया भोजन खा जाती, जिससे वह बलवान बन जाती है, फिर बच्चों को ही हैरान करती है । यह छोटी-सी भूल माया से हार खिला देती है इसलिए बाप की आज्ञा है-बच्चे, याद में खाओ । पक्का प्रण करो-तुम्हीं से खाऊँ.... जब याद करेंगे तब वह राजी होगा ।

गीत:- आज नहीं तो कल बिखरेंगे यह बादल...

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. श्रीमत को नोट कर पुरूषार्थ करना है । बाप ने जो कर्म करके सिखाया है, वही करने हैं । विचार सागर मंथन कर ज्ञान की प्याइंटस निकालनी हैं ।
2. अपने आपसे प्रण करना है कि हम बाप की याद में ही भोजन खायेंगे । तुम्हीं से बैठूं, तुम्हीं से खाऊं, यह वायदा पक्का निभाना है ।

वरदान:- श्रेष्ठ प्राप्तियों के प्रत्यक्षफल द्वारा सदा खुशहाल रहने वाले एवरहेल्दी भव !
संगमयुग पर अभी- अभी किया और अभी- अभी श्रेष्ठ प्राप्ति की अनुभति हुई - यही है प्रत्यक्षफल । सबसे श्रेष्ठ फल है समीपता का अनुभव होना । आजकल साकार दुनिया में कहते हैं कि फल खाओ तो तन्दरूस्त रहेंगे । हेल्दी रहने का साधन फल बताते हैं और आप बच्चे हर सेकण्ड प्रत्यक्षफल खाते ही रहते हो इसलिए एवरहेल्दी हो ही । यदि आपसे कोई पूछे कि आपका क्या हालचाल है, तो बोलो कि फरिश्तों की चाल है और खुशहाल है ।

स्लोगन:-  सर्व की दुआओं के खजाने से सम्पन्न बनो तो पुरुषार्थ में मेहनत नहीं करनी पड़ेगी ।