Thursday, December 11, 2014

Murli-12/12/2014-Hindi

12-12-14 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें सर्व खजानों से मालामाल बनाने, तुम सिर्फ ईश्वरीय मत पर चलो,अच्छी रीति पुरूषार्थ कर वर्सा लो, माया से हार नहीं खाओ |” प्रश्न:- ईश्वरीय मत, दैवी मत और मनुष्य मत में कौन- सा मुख्य अन्तर है? उत्तर:- ईश्वरीय मत से तुम बच्चे वापिस अपने घर जाते हो फिर नई दुनिया में ऊँच पद पाते हो । दैवी मत से तुम सदा सुखी रहते हो क्योंकि वह भी बाप द्वारा इस समय की मिली हुई मत है । लेकिन फिर भी उतरते तो नीचे ही हो । मनुष्य मत दु :खी बनाती है । ईश्वरीय मत पर चलने के लिए पहले-पहले पढ़ाने वाले बाप पर पूरा निश्चय चाहिए । ओम् शान्ति | अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. अपनी बीमारी सर्जन से कभी भी छिपानी नहीं है । माया के भूतों से स्वयं को बचाना है । अपने को राजतिलक देने के लिए सर्विस जरूर करनी है । 2. स्वयं को अविनाशी ज्ञान धन से धनवान बनाना है । अब पाप आत्माओं से लेन-देन नहीं करनी है । पढ़ाई पर पूरा-पूरा अटेंशन देना है । वरदान:- ब्राह्मण जीवन में सदा खुशी की खुराक खाने और खुशी बांटने वाले खुशनसीब भव ! इस दुनिया में आप ब्राह्मणों जैसा खुशनसीब कोई हो नहीं सकता क्योंकि इस जीवन में ही आप सबको बापदादा का दिलतख्त मिलता है । सदा खुशी की खुराक खाते हो और खुशी बांटते हो । इस समय बेफिक्र बादशाह हो । ऐसी बेफिक्र जीवन सारे कल्प में और किसी भी युग में नहीं है । सतयुग में बेफिक्र होंगे लेकिन वहाँ ज्ञान नहीं होगा, अभी आपको ज्ञान है इसलिए दिल से निकलता है मेरे जैसा खुशनसीब कोई नहीं । स्लोगन:- संगमयुग के स्वराज्य अधिकारी ही भविष्य के विश्व राज्य अधिकारी बनते हैं ।