Tuesday, January 13, 2015

मुरली 14 जनवरी 2015

मुरली 14 जनवरी 2015 “मीठे बच्चे - तुम्हारा एक-एक बोल बहुत मीठा फर्स्टक्लास होना चाहिए, जैसे बाप दु:ख हर्ता, सुख कर्ता है, ऐसे बाप समान सबको सुख दो”    प्रश्न:-    लौकिक मित्र-सम्बन्धियों को ज्ञान देने की युक्ति क्या है? उत्तर:- कोई भी मित्र-सम्बन्धी आदि हैं तो उनसे बहुत नम्रता से, प्रेमभाव से मुस्कराते हुए बात करनी चाहिए । समझाना चाहिए यह वही महाभारत लड़ाई है । बाप ने रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा है । मैं आपको सत्य कहता हूँ कि भक्ति आदि तो जन्म-जन्मान्तर की, अब ज्ञान शुरू होता है । जब मौका मिले तो बहुत युक्ति से बात करो । कुटुम्ब परिवार में बहुत प्यार से चलो । कभी किसी को दु :ख न दो । गीत:-    आखिर वह दिन आया आज.. धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. धन्धे आदि से जब छुटटी मिले तो याद में रहने का व्रत लेना है । माया पर विजय प्राप्त करने के लिए याद की मेहनत करनी है ।  2. बहुत नम्रता और प्रेम भाव से मुस्कराते हुए मित्र-सम्बन्धियों की सेवा करनी है । उनमें बुद्धि को भटकाना नहीं है । प्यार से बाप का परिचय देना है । वरदान:- स्व कल्याण के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा विश्व कल्याण की सेवा में सदा सफलतामूर्त भव !    जैसे आजकल शारीरिक रोग हार्टफेल का ज्यादा है वैसे आध्यात्मिक उन्नति में दिलशिकस्त का रोग ज्यादा है । ऐसी दिलशिकस्त आत्माओं में प्रैक्टिकल परिवर्तन देखने से ही हिम्मत वा शक्ति आ सकती है । सुना बहुत है अब देखना चाहते हैं । प्रमाण द्वारा परिवर्तन चाहते हैं । तो विश्व कल्याण के लिए स्व कल्याण पहले सैम्पल रूप में दिखाओ । विश्व कल्याण की सेवा में सफलतामूर्त बनने का साधन ही है प्रत्यक्ष प्रमाण, इससे ही बाप की प्रत्यक्षता होगी । जो बोलते हो वह आपके स्वरूप से प्रैक्टिकल दिखाई दे तब मानेंगे । स्लोगन:-  दूसरे के विचारों को अपने विचारों से मिलाना-यही है रिगार्ड देना ।      अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क अमृतवेले उठने से लेकर हर कर्म, हर संकल्प और हर वाणी में रेग्युलर बनो । एक भी बोल ऐसा न निकले जो व्यर्थ हो । जैसे बड़े आदमियों के बोलने के शब्द फिक्स होते हैं ऐसे आपके बोल फिक्स हो । एक्स्ट्रा नहीं बोलना है। ओम् शांति |