Monday, March 2, 2015

मुरली 02 मार्च 2015

“मीठे बच्चे - तुम्हें नशा चाहिए कि हमारा पारलौकिक बाप वंडर ऑफ दी वर्ल्ड (स्वर्ग) बनाता, जिसके हम मालिक बनते हैं” प्रश्न:- बाप के संग से तुम्हें क्या-क्या प्राप्तियां होती हैं? उत्तर:- बाप के संग से हम मुक्ति, जीवन-मुक्ति के अधिकारी बन जाते हैं । बाप का संग तार देता है (पार ले जाता है) । बाबा हमें अपना बनाकर आस्तिक और त्रिकालदर्शी बना देते हैं । हम रचता और रचना के आदि-मध्य- अन्त को जान जाते हैं । गीत:- धीरज धर मनुआ .. धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. किसी से भी घृणा वा नफरत नहीं करनी है । रहमदिल बन दुःखी आत्माओं को सुखी बनाने की सेवा करनी है । बाप समान मास्टर प्यार का सागर बनना है । 2. “भगवान के हम बच्चे हैं” इसी नशे वा खुशी में रहना है । कभी माया के उल्टे संग में नहीं जाना है । देही- अभिमानी बनकर ज्ञान की धारणा करनी है । वरदान:- सर्व प्राप्तियों के अनुभव द्वारा पावरफुल बनने वाले सदा सफलतामूर्त भव ! जो सर्व प्राप्तियों के अनुभवी मूर्त हैं वही पावरफुल हैं, ऐसी पावरफुल सर्व प्राप्तियों की अनुभवी आत्मायें ही सफलतामूर्त बन सकती हैं क्योंकि अभी सर्व आत्मायें ढूंढेगी कि सुख-शान्ति के मास्टर दाता कहाँ हैं । तो जब आपके पास सर्वशक्तियों का स्टॉक होगा तब तो सबको सन्तुष्ट कर सकेंगे । जैसे विदेश में एक ही स्टोर से सब चीजें मिल जाती हैं ऐसे आपको भी बनना है । ऐसे नहीं सहनशक्ति हो, सामना करने की नहीं । सर्वशक्तियों का स्टॉक चाहिए तब सफलतामूर्त बन सकेंगे । स्लोगन:- मर्यादायें ही ब्राह्मण जीवन के कदम हैं, कदम पर कदम रखना माना मंजिल के समीप पहुँचना । ओम् शान्ति