Saturday, March 7, 2015

मुरली 08 मार्च 2015

“अमृतवेले के वरदानी समय में पुकार सुनो और उपकार करो” प्रश्न:- आप ब्राह्मण आत्मायें विशेष आत्माओं की लिस्ट में हो, इस लिस्ट में कौन आते हैं? उत्तर:- विशेष आत्माओं की लिस्ट में वही आते जिनमें कोई-न-कोई विशेषता है । कोई भी ब्राह्मण बच्चा ऐसा नहीं जिसमें कोई विशेषता न हो सबसे पहली विशेषता तो यही है जो बाप को जान लिया, बाप को पा लिया । कोटों में कोऊ और कोऊ में भी कोई ने जाना । तो बाप भी उसी नजर से देखते हैं कि यह विशेष आत्मायें हैं । विशेष आत्माओं को सदा खुशी के झूले में झूलना चाहिए । लाडले बच्चे कभी भी मिट्टी में पाव नहीं रखते, आप लाडले बच्चे सदा बाप की याद की गोदी में रहो । सबकुछ करते भी बाप की गोद में रहो, नीचे न आओ । अच्छा! वरदान:- संकल्प और बोल के विस्तार को सार में लाने वाले अन्तर्मुखी भव ! व्यर्थ संकल्पों के विस्तार को समेट कर सार रूप में स्थित होना तथा मुख के आवाज के व्यर्थ को समेट कर समर्थ अर्थात् सार रूप में ले आना-यही है अन्तर्मुखता । ऐसे अन्तर्मुखी बच्चे ही साइलेन्स की शक्ति द्वारा भटकती हुई आत्माओं को सही ठिकाना दिखा सकते हैं । यह साइलेन्स की शक्ति अनेक रूहानी रंगत दिखाती है । साइलेन्स की शक्ति से हर आत्मा के मन का आवाज इतना समीप सुनाई देता है जैसे कोई सम्मुख बोल रहा है । स्लोगन:- स्वभाव, संस्कार, सम्बन्ध, सम्पर्क में लाइट रहना अर्थात् फरिश्ता बनना । ओम् शान्ति |