Sunday, March 15, 2015

मुरली 16 मार्च 2015

“मीठे बच्चे- तुम्हें मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है, सबको शान्तिधाम और सुखधाम का रास्ता बताना है” प्रश्न:- जो सतोप्रधान पुरुषार्थी हैं उनकी निशानी क्या होगी? उत्तर:- वह औरों को भी आप समान बनायेंगे। वह बहुतों का कल्याण करते रहेंगे। ज्ञान धन से झोली भरकर दान करेंगे। 21 जन्मों के लिए वर्सा लेंगे और दूसरों को भी दिलायेंगे। गीत:- ओम् नमो शिवाए... धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) बेहद के बाप से बेहद सुख का वर्सा लेने के लिए डायरेक्ट ईश्वर अर्थ दान-पुण्य करना है। ज्ञान धन से झोली भरकर सबको देना है। 2) इस पुरूषोत्तम युग में स्वयं को सर्व बन्धनों से मुक्त कर जीवनमुक्त बनना है। भ्रमरी की तरह भूँ-भूँ कर आप समान बनाने की सेवा करनी है। वरदान:- नम्रता और अथॉरिटी के बैलेन्स द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाले विशेष सेवाधारी भव! जहाँ बैलेन्स होता है वहाँ कमाल दिखाई देती है। जब आप नम्रता और सत्यता की अथॉरिटी के बैलेन्स से किसी को भी बाप का परिचय देंगे तो कमाल दिखाई देगी। इसी रूप से बाप को प्रत्यक्ष करना है। आपके बोल स्पष्ट हों, उसमें स्नेह भी हो, नम्रता और मधुरता भी हो तो महानता और सत्यता भी हो तब प्रत्यक्षता होगी। बोलते हुए बीच-बीच में अनुभव कराते जाओ जिससे लगन में मगन मूर्त अनुभव हो। ऐसे स्वरूप से सेवा करने वाले ही विशेष सेवाधारी हैं। स्लोगन:- समय पर कोई भी साधन न हो तो भी साधना में विघ्न न पड़े। ओम् शांति ।