Friday, April 3, 2015

मुरली 04 अप्रैल 2015

“मीठे बच्चे - बाप तुम्हें पुरूषोत्तम बनाने के लिए पढ़ा रहे हैं, मुरली 04 अप्रैल 2015तुम अभी कनिष्ट से उत्तम पुरूष बनते हो, सबसे उत्तम हैं देवतायें” प्रश्न:- यहाँ तुम बच्चे कौन-सी मेहनत करते हो जो सतयुग में नहीं होगी? यहाँ देह सहित देह के सब सम्बन्धों को भूल आत्म-अभिमानी हो शरीर छोड़ने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। सतयुग में बिना मेहनत बैठे-बैठे शरीर छोड़ देंगे। अभी यही मेहनत वा अभ्यास करते हो कि हम आत्मा हैं, हमें इस पुरानी दुनिया पुराने शरीर को छोड़ना है, नया लेना है। सतयुग में इस अभ्यास की जरूरत नहीं। गीत:- दूर देश का रहने वाला........ धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) जैसे ब्रह्मा बाबा ने अपना सब कुछ ट्रांसफर कर फुल पॉवर बाप को दे दी, सोचा नहीं, ऐसे फालो फादर कर 21 जन्मों की प्रालब्ध जमा करनी है। 2) प्रैक्टिस करनी है अन्तकाल में एक बाप के सिवाए और कोई भी चीज याद न आये। हमारा कुछ नहीं, सब बाबा का है। अल्फ और बे, इसी स्मृति से पास हो विजयमाला में आना है। वरदान:- मनमनाभव के महामन्त्र द्वारा सर्व दु:खों से पार रहने वाले सदा सुख स्वरूप भव! जब किसी भी प्रकार का दु:ख आये तो मन्त्र ले लो जिससे दुख भाग जायेगा। स्वप्न में भी जरा भी दु:ख का अनुभव न हो, तन बीमार हो जाए, धन नीचे ऊपर हो जाए, कुछ भी हो लेकिन दुख की लहर अन्दर नहीं आनी चाहिए। जैसे सागर में लहरें आती हैं और चली जाती हैं लेकिन जिन्हें उन लहरों में लहराना आता है वह उसमें सुख का अनुभव करते हैं, लहर को जम्प देकर ऐसे क्रास करते हैं जैसे खेल कर रहे हैं। तो सागर के बच्चे सुख स्वरूप हो, दु:ख की लहर भी न आये। स्लोगन:- हर संकल्प में दृढ़ता की विशेषता को प्रैक्टिकल में लाओ तो प्रत्यक्षता हो जायेगी। ओम् शांति