Saturday, April 4, 2015
मुरली 05 अप्रैल 2015
विश्व परिवर्तन के लिए सर्व की एक ही वृत्ति का होना आवश्यक
वरदान:-
व्यर्थ को भी शुभ भाव और श्रेष्ठ भावना द्वारा परिवर्तन करने वाले सच्चे मरजीवा भव !
बापदादा की श्रीमत है बच्चे व्यर्थ बातें न सुनो, न सुनाओ और न सोचो। सदा शुभ भावना से सोचो, शुभ बोल बोलो। व्यर्थ को भी शुभ भाव से सुनो। शुभ चिंतक बन बोल के भाव को परिवर्तन कर दो। सदा भाव और भावना श्रेष्ठ रखो, स्वयं को परिवर्तन करो न कि अन्य के परिवर्तन का सोचो। स्वयं का परिवर्तन ही अन्य का परिवर्तन है, इसमें पहले मैं-इस मरजीवा बनने में ही मजा है। इसी को ही महाबली कहा जाता है। इसमें खुशी से मरो-यह मरना ही जीना है, यही सच्चा जीयदान है।
स्लोगन:-
संकल्पों की एकाग्रता श्रेष्ठ परिवर्तन में फास्ट गति ले आती है।
ओम् शांति