Sunday, April 5, 2015

मुरली 06 अप्रैल 2015

“मीठे बच्चे - बाप नॉलेजफुल है, उन्हें जानी जाननहार कहना, यह उल्टी महिमा है, बाप आते ही हैं तुम्हें पतित से पावन बनाने ।” प्रश्न:- बाप के साथ- साथ सबसे अधिक महिमा और किसकी है और कैसे? उत्तर:- 1- बाप के साथ भारत की महिमा भी बहुत है। भारत ही अविनाशी खण्ड है। भारत ही स्वर्ग बनता है। बाप ने भारतवासियों को ही धनवान, सुखी और पवित्र बनाया है। 2- गीता की भी अपरमअपार महिमा है, सर्वशास्त्रमई शिरोमणी गीता है। 3- तुम चैतन्य ज्ञान गंगाओं की भी बहुत महिमा है। तुम डायरेक्ट ज्ञान सागर से निकली हो। धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) ऊंच पद के लिए श्रीमत पर चल अच्छे मैनर्स धारण करने हैं। 2) सच्चा आशिक बन एक माशूक को ही याद करना है। जितना हो सके याद का अभ्यास बढ़ाते जाना है। वरदान:- चैलेन्ज और प्रैक्टिकल की समानता द्वारा स्वयं को पापों से सेफ रखने वाले विश्व सेवाधारी भव! आप बच्चे जो चैलेन्ज करते हो उस चैलेन्ज और प्रैक्टिकल जीवन में समानता हो, नहीं तो पुण्य आत्मा के बजाए बोझ वाली आत्मा बन जायेंगे। इस पाप और पुण्य की गति को जानकर स्वयं को सेफ रखो क्योंकि संकल्प में भी किसी भी विकार की कमजोरी, व्यर्थ बोल, व्यर्थ भावना, घृणा वा ईर्ष्या की भावना पाप के खाते को बढ़ाती है इसलिए पुण्य आत्मा भव के वरदान द्वारा स्वयं को सेफ रख विश्व सेवाधारी बनो। संगठित रूप में एकमत, एकरस स्थिति का अनुभव कराओ। स्लोगन:- पवित्रता की शमा चारों ओर जलाओ तो बाप को सहज देख सकेंगे। ओम् शांति ।