Saturday, April 11, 2015

मुरली 12 अप्रैल 2015


सेवा के साथ देह में रहते विदेही अवस्था का अनुभव बढ़ाओ वरदान:- परीक्षाओं और समस्याओं में मुरझाने के बजाए मनोरंजन का अनुभव करने वाले सदा विजयी भव ! इस पुरूषार्थी जीवन में ड्रामा अनुसार समस्यायें व परिस्थितियां तो आनी ही हैं। जन्म लेते ही आगे बढ़ने का लक्ष्य रखना अर्थात् परीक्षाओं और समस्याओं का आह्वान करना। जब रास्ता तय करना है तो रास्ते के नज़ारे न हों यह हो कैसे सकता। लेकिन उन नज़ारों को पार करने के बजाए यदि करेक्शन करने लग जाते हो तो बाप की याद का कनेक्शन लूज़ हो जाता है और मनोरंजन के बजाए मन को मुरझा देते हो इसलिए वाह नज़ारा वाह के गीत गाते आगे बढ़ो अर्थात् सदा विजयी भव के वरदानी बनो। स्लोगन:- मर्यादा के अन्दर चलना माना मर्यादा पुरूषोत्तम बनना।