Sunday, April 12, 2015

मुरली 13 अप्रैल 2015


“मीठे बच्चे - सर्वोत्तम युग यह संगम है, इसमें ही तुम आत्मायें परमात्मा बाप से मिलती हो, यही है सच्चा सच्चा कुम्भ।”Q-कौन सा पाठ बाप ही पढ़ाते हैं, कोई मनुष्य नहीं पढ़ा सकते? A-देही अभिमानी बनने का पाठ एक बाप ही पढ़ाते हैं, यह पाठ कोई देहधारी नहीं पढ़ा सकता। D-एक बाप से ही अव्यभिचारी ज्ञान सुनना है। V-दिव्य बुद्धि की लिफ्ट द्वारा तीनों लोकों का सैर करने वाले सहजयोगी भव! S-मन को सदा मौज़ में रखना यही जीवन जीने का कला है।