Wednesday, May 6, 2015

मुरली 07 मई 2015

“मीठे बच्चे - अभी ड्रामा का चक्र पूरा होता है, तुम्हें क्षीरखण्ड बनकर नई दुनिया में आना है, वहाँ सब क्षीरखण्ड हैं, यहाँ लूनपानी हैं |” प्रश्न:- तुम त्रिनेत्री बच्चे किस नॉलेज को जान कर त्रिकालदर्शी बन गये हो? उत्तर:- तुम्हें अभी सारे वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी की नॉलेज मिली है, सतयुग से लेकर कलियुग अन्त तक की हिस्ट्री-जॉग्राफी तुम जानते हो। तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला कि आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है। संस्कार आत्मा में हैं। अब बाप कहते हैं-बच्चे, नाम-रूप से न्यारा बनो। अपने को आत्मा अशरीरी समझो। गीतः धीरज धर मनुवा ............ धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) अभी सृष्टि बदलने की लीला चल रही है इसलिए स्वयं को बदलना है। क्षीरखण्ड होकर रहना है। 2) सवेरे उठकर एक बाप की याद में बैठना है, उस समय और कोई भी याद न आये। पुरानी दुनिया से बेहद का वैरागी बन 5 विकारों का सन्यास करना है। वरदान:- मन्सा संकल्प वा वृत्ति द्वारा श्रेष्ठ वायब्रेशन्स की खुशबू फैलाने वाले शिव शक्ति कम्बाइन्ड भव! जैसे आजकल स्थूल खुशबू के साधनों से गुलाब, चंदन व भिन्न-भिन्न प्रकार की खुशबू फैलाते हैं ऐसे आप शिव शक्ति कम्बाइन्ड बन मन्सा संकल्प व वृत्ति द्वारा सुख-शान्ति, प्रेम, आनंद की खुशबू फैलाओ। रोज अमृतवेले भिन्न-भिन्न श्रेष्ठ वायब्रेशन के फाउन्टेन के माफिक आत्माओं के ऊपर गुलाबवाशी डालो। सिर्फ संकल्प का आटोमेटिक स्विच आन करो तो विश्व में जो अशुद्ध वृत्तियों की बदबू है वह समाप्त हो जायेगी। स्लोगन:- सुखदाता द्वारा सुख का भण्डार प्राप्त होना-यही उनके प्यार की निशानी है। ओम् शांति