Sunday, May 10, 2015

मुरली 11 मई 2015

“मीठे बच्चे - धंधा आदि करते भी सदा अपनी गॉडली स्टूडेण्ट लाइफ और स्टडी याद रखो, स्वयं भगवान हमको पढ़ाते हैं इस नशे में रहो |” प्रश्न:- जिन बच्चों को ज्ञान अमृत हजम करना आता है, उनकी निशानी क्या होगी? उत्तर:- उन्हें सदा रूहानी नशा चढ़ा रहेगा और उस नशे के आधार पर सबका कल्याण करते रहेंगे। कल्याण करने के सिवाए दूसरी कोई बात करना भी उन्हें अच्छा नहीं लगेगा। कांटों को फूल बनाने की ही सेवा में बिजी रहेंगे। धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) किसी को भी एक राम (बाप) की बातों के सिवाए दूसरी कोई भी बातें नहीं सुनानी है। एक की बात दूसरे को सुनाना, पराचिंतन करना यह धूतीपना है, इसे छोड़ देना है। 2) एक बाप के साथ प्रीत रखनी है। पुरानी देह का अभिमान छोड़ एक बाप की याद से स्वयं को पावन बनाना है। वरदान:- विश्व कल्याणकारी की ऊंची स्टेज पर स्थित रह विनाश लीला को देखने वाले साक्षी दृष्टा भव! अन्तिम विनाश लीला को देखने के लिए विश्व कल्याणकारी की ऊंची स्टेज चाहिए। जिस स्टेज पर स्थित होने से देह के सर्व आकर्षण अर्थात् सम्बन्ध, पदार्थ, संस्कार, प्रकृति के हलचल की आकर्षण समाप्त हो जाती है। जब ऐसी स्टेज हो तब साक्षी दृष्टा बन ऊपर की स्टेज पर स्थित हो शान्ति की, शक्ति की किरणें सर्व आत्माओं के प्रति दे सकेंगे। स्लोगन:- ज्ञान योग से स्वयं को बलवान बना लो तो माया का फोर्स समाप्त हो जायेगा। ओम् शांति ।