Monday, May 11, 2015
मुरली 12 मई 2015
“मीठे बच्चे - तुम बेहद के बाप से बेहद का वर्सा लेने आये हो, यहाँ हद की कोई बात नहीं, तुम बड़े उमंग से बाप को याद करो तो पुरानी दुनिया भूल जायेगी |”
प्रश्न:-
कौन-सी एक बात तुम्हें बार-बार अपने से घोट कर पक्की करनी चाहिए?
उत्तर:-
हम आत्मा हैं, हम परमात्मा बाप से वर्सा ले रहे हैं। आत्मायें हैं बच्चे, परमात्मा है बाप। अभी बच्चे और बाप का मेला हुआ है। यह बात बार-बार घोट-घोट कर पक्की करो। जितना आत्म-अभिमानी बनते जायेंगे, देह-अभिमान मिट जायेगा।
गीत:- जो पिया के साथ है..............
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) योगबल की ताकत से अपनी कर्मेन्द्रियों को शीतल बनाना है। वश में रखना है। इविल बातें न तो सुननी है, न सुनानी है। जो बात पसन्द नहीं आती, उसे एक कान से सुन दूसरे से निकाल देना है।
2) बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए स्वदर्शन चक्रधारी बनना है, पवित्र बन आप समान बनाने की सेवा करनी है।
वरदान:-
गृहस्थ व्यवहार और ईश्वरीय व्यवहार दोनों की समानता द्वारा सदा हल्के और सफल भव!
सभी बच्चों को शरीर निर्वाह और आत्म निर्वाह की डबल सेवा मिली हुई है। लेकिन दोनों ही सेवाओं में समय का, शक्तियों का समान अटेन्शन चाहिए। यदि श्रीमत का कांटा ठीक है तो दोनों साइड समान होंगे। लेकिन गृहस्थ शब्द बोलते ही गृहस्थी बन जाते हो तो बहाने बाजी शुरू हो जाती है इसलिए गृहस्थी नहीं ट्रस्टी हैं, इस स्मृति से गृहस्थ व्यवहार और ईश्वरीय व्यवहार दोनों में समानता रखो तो सदा हल्के और सफल रहेंगे।
स्लोगन:-
फर्स्ट डिवीजन में आने के लिए कर्मेन्द्रिय जीत, मायाजीत बनो।
ओम् शांति ।