Friday, May 15, 2015

मुरली 16 मई 2015

“मीठे बच्चे - सदा इसी नशे में रहो कि हम संगमयुगी ब्राह्मण हैं, हम जानते हैं जिस बाबा को सब पुकार रहे हैं, वह हमारे सम्मुख है।” प्रश्न:- जिन बच्चों का बुद्धियोग ठीक होगा, उन्हें कौन-सा साक्षात्कार होता रहेगा? उत्तर:- सतयुगी नई राजधानी में क्या-क्या होगा, कैसे हम स्कूल में पढ़ेंगे फिर राज्य चलायेंगे। यह सब साक्षात्कार जैसे-जैसे नजदीक आते जायेंगे, होता रहेगा। परन्तु जिनका बुद्धियोग ठीक है, जो अपने शान्तिधाम और सुखधाम को याद करते हैं, धंधा धोरी करते भी एक बाप की याद में रहते हैं, उन्हें ही यह सब साक्षात्कार होंगे। गीत:- ओम नमो शिवाए ............ धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) योग की ऐसी स्थिति बनानी है जो दृष्टि से ही किसी को शान्त कर दें। एकदम सन्नाटा हो जाए। इसके लिए अशरीरी बनने का अभ्यास करना है। 2) ज्ञान के सच्चे नशे में रहने के लिए याद रहे कि हम संगमयुगी हैं, अब यह पुरानी दुनिया बदलने वाली है, हम अपने घर जा रहे हैं। श्रीमत पर सदा चलते रहना है, चूँ चाँ नहीं करनी है। वरदान:- वायरलेस सेट द्वारा विनाश काल में अन्तिम डायरेक्शन्स को कैच करने वाले वाइसलेस भव! विनाश के समय अन्तिम डायरेक्शन्स को कैच करने के लिए वाइसलेस बुद्धि चाहिए। जैसे वे लोग वायरलेस सेट द्वारा एक दूसरे तक आवाज पहुंचाते हैं। यहाँ है वाइसलेस की वायरलेस। इस वायरलेस द्वारा आपको आवाज आयेगा कि इस सेफ स्थान पर पहुंच जाओ। जो बच्चे बाप की याद में रहने वाले वाइसलेस हैं, जिन्हें अशरीरी बनने का अभ्यास है वे विनाश में विनाश नहीं होंगे लेकिन स्वेच्छा से शरीर छोड़ेंगे। स्लोगन:- योग को किनारे कर कर्म में बिजी हो जाना-यही अलबेलापन है। ओम् शांति ।