Saturday, May 16, 2015

मुरली 17 मई 2015

विश्व-कल्याणकारी ही विश्व का मालिक बन सकता है वरदान:- अपने अधिकार की शक्ति द्वारा त्रिमूर्ति रचना को सहयोगी बनाने वाले मास्टर रचता भव! त्रिमूर्ति शक्तियां (मन, बुद्धि और संस्कार) यह आप मास्टर रचता की रचना हैं। इन्हें अपने अधिकार की शक्ति से सहयोगी बनाओ। जैसे राजा स्वयं कार्य नहीं करता, कराता है, करने वाले राज्य कारोबारी अलग होते हैं। ऐसे आत्मा भी करावनहार है, करनहार ये विशेष त्रिमूर्ति शक्तियां हैं। तो मास्टर रचयिता के वरदान को स्मृति में रख त्रिमूर्ति शक्तियों को और साकार कर्मेन्द्रियों को सही रास्ते पर चलाओ। स्लोगन:- अव्यक्त पालना के वरदान का अधिकार का अनुभव करने के लिए स्पष्टवादी बनो। ओम् शांति ।