Monday, May 18, 2015

मुरली 19 मई 2015

“मीठे बच्चे - देही-अभिमानी बन बाप को याद करो तो याद का बल जमा होगा, याद के बल से तुम सारे विश्व का राज्य ले सकते हो" प्रश्न:- कौन-सी बात तुम बच्चों के ख्याल-ख्वाब में भी नहीं थी, जो प्रैक्टिकल हुई है? उत्तर:- तुम्हारे ख्याल ख्वाब में भी नहीं था कि हम भगवान से राजयोग सीखकर विश्व के मालिक बनेंगे। राजाई के लिए पढ़ाई पढ़ेंगे। अभी तुम्हें अथाह खुशी है कि सर्वशक्तिमान बाप से बल लेकर हम सतयुगी स्वराज्य अधिकारी बनते हैं। धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) अपने आपको देखना है हम श्री लक्ष्मी, श्री नारायण समान बन सकते हैं? हमारे में कोई विकार तो नहीं है ? फेरी लगाने वाले परवाने हैं या फ़िदा होने वाले ? ऐसे मैनर्स तो नहीं हैं जो बाप की आबरू (इज्जत) जाये। 2) अथाह खुशी में रहने के लिए - सवेरे-सवेरे प्रेम से बाप को याद करना है और पढ़ाई पढ़नी है। भगवान हमें पढ़ाकर पुरूषोत्तम बना रहे हैं, हम संगमयुगी हैं, इस नशे में रहना है। वरदान:- एकाग्रता के अभ्यास द्वारा एकरस स्थिति का अनुभव करने वाले सर्व सिद्धि स्वरूप भव! रूहानियत जहाँ एकाग्रता है वहाँ स्वत: एकरस स्थिति है। एकाग्रता से संकल्प, बोल और कर्म का व्यर्थ पन समाप्त हो जाता है और समर्थ पन आ जाता है। एकाग्रता अर्थात् एक ही श्रेष्ठ संकल्प में स्थित रहना। जिसएक बीज रूपी संकल्प में सारा वृक्ष रूपी विस्तार समाया हुआ है। एकाग्रता को बढ़ाओ तो सर्व प्रकार की हलचल समाप्त हो जायेगी। सब संकल्प, बोल और कर्म सहज सिद्ध हो जायेंगे। इसके लिए एकान्तवासी बनो। स्लोगन:- एक बार की हुई गलती को बार-बार सोचना अर्थात् दाग पर दाग लगाना इसलिए बीती को बिन्दी लगाओ। ओम् शांति ।